संजय महिलांग/नवागढ़ : विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल द्वारा गुरुवार 20 मई 2021 को एक दिवसीय मधुमक्खी पालन विषय पर वर्चुअल माध्यम से प्रशिक्षण हुआ। प्रशिक्षण का आरंभ करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान डा. संजीव कुमार ने कहा की कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में रोजगार की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। मधुमक्खी पालन ऐसा व्यवसाय है, जिसे कोई भी महिला व पुरुष, शिक्षित, अशिक्षित व्यक्ति इस व्यवसाय को अपनाकर आजीविका बढ़ा सकते हैं। वैज्ञानिक धर्मा उरांव ने बताया कि मधुमक्खी पालन के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। छोटे किसान एवं भूमिहीन व्यक्ति भी इस व्यवसाय को सरलता पूर्वक अपना सकते हैं। शहद एक हानिरहित पूर्ण भोजन तथा पौष्टिक तत्व प्रदान करने वाला खाद्य पदार्थ है। बताया कि इससे मधु, मोम, मधुमक्खी गोंद आदि की प्राप्ति होती है, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त होने पर परागण द्वारा फसलों की पैदावार बढ़ाने में भी सहायता करती है। मधुमक्खी की दो प्रजातियों को वैज्ञानिक विधि से गांव में पाला जा सकता है। इससे पहला भारतीय मधुमक्खी एपिस सिराना तथा यूरोपीय इटालियन मक्खी ए मैलीफेरा शामिल है। बताया कि सरकार की ओर से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसका मधुमक्खी पालक लाभ उठा सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश भर से 60 किसान भाग लिया हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में युवा किसान किशोर राजपूत ने किसानों को मधुमक्खी पालन की तकनीक उस में रखने वाली सावधानियां एवं आय में दोगुनी करने हेतु मधुमक्खी पालन की महत्वता पर विस्तार पूर्वक जानकारी लिया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक गण उपस्थित थे।
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