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सहकारी समिति में डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति को लेकर शिकायत

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  • समिति संचालक के पुत्र की नियुक्ति पर उठ रहे हैं सवाल

किरीट ठक्कर/गरियाबंद । वर्ष 2016 में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गरियाबंद पंजीयन क्र. 1650 के तत्कालीन संचालक मंडल द्वारा एक बैठक आयोजित की गई , 12 मई 2016 को आयोजित इस बैठक में डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति किये जाने को लेकर विचार किया गया तथा प्रस्ताव के माध्यम से गौरव कुमार सिन्हा पिता भुखन लाल सिन्हा को डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर नियुक्त किया गया। तत्समय में समिति के अध्यक्ष राधेलाल ध्रुव सहित कुल 11 संचालक मंडल के सदस्य थे , जिनमें से एक , गौरव कुमार सिन्हा के पिता भुखन सिन्हा भी थे।
छत्तीसगढ़ सहकारी अधिनियम 1960 एवं 1962 के तहत समिति के किसी भी संचालक सदस्य के कुटुम्बजनों की नियुक्ति समिति में कर्मचारी के तौर पर नही की जा सकती। अतएव 12 मई 2016 को आयोजित बैठक में ही संचालक सदस्य भुखन सिन्हा ने त्यागपत्र दे दिया। अब समझिये की ये दोनों प्रस्ताव एक ही बैठक में दिये गये और दोनों प्रस्तावों पर एक ही दिन अमल किया गया। अर्थात इधर पुत्र को नियुक्ति दी गई और उधर पिता ने इस्तीफ़ा सौंप दिया।
28 मई 2016 को सहकारिता विस्तार अधिकारी ए एन सिंग द्वारा उक्त प्रस्ताव पर लिखित असहमति व्यक्त की गई तथा संचालक मंडल के सदस्यों द्वारा लिये गये निर्णय को अमान्य कर दिया गया। इसके बावजूद गौरव कुमार सिन्हा डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर आज दिनांक तक कार्यरत रहा है।
समय बदला और सहकारी समिति के संचालक मंडल के सदस्य बदले , और अब आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित गरियाबंद की अध्यक्ष मनटोरा बाई है जिन्होंने तथा समिति के प्रबंधक व संचालक कमल नेताम ने गौरव कुमार सिन्हा की नियुक्ति पर सवाल उठाये है। इन्होंने सहकारिता मंत्री प्रेमसाय टेकाम सहित कलेक्टर गरियाबंद , पंजीयक महोदय सहकारी संस्थायें छत्तीसगढ़ , सहायक पंजीयक सहकारी संस्थायें गरियाबंद , विपणन अधिकारी गरियाबंद , जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित रायपुर आदि को लिखित आवेदन देकर गौरव कुमार सिन्हा की नियुक्ति पर नियमानुसार कार्रवाई की मांग की है।
आवेदित पत्र के अनुसार भूखनलाल सिन्हा द्वारा एक ही बैठक दिनांक में त्याग पत्र देकर अपने पुत्र को समिति कर्मचारी के रूप में भर्ती कराना नियम विरुद्ध है। जबकि 12 मई 2016 की बैठक में उपस्थित संचालक सदस्य , समिति अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं समिति प्रबंधक द्वारा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर ही नहीं किया गया था।

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