- घोटालों के दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने से अनशन पर थे महिला एवं बाल विकास अधिकारी
महासमुंद : छत्तीसगढ़ के महासमुंद में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर सुधाकर बोदले के अनशन के बाद प्रशासन जाग गया है। एक ओर जहां सोमवार को कलेक्टर ने उन्हें लस्सी पिलाकर अनशन खत्म कराया। वहीं दो स्व सहायता समूह (SHG) को बर्खास्त और दो सुपरवाइजर को सस्पेंड कर दिया गया है। मामला मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी-टू-इट स्कीम में 30 लाख रुपए के घोटाले का है। जांच पूरी होने पर भी कार्रवाई नहीं की गई।
शिकायत की जांच के लिए गठित की गई थी 5 सदस्यीय टीम
महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले रविवार को अपने ही विभाग के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से नाराज थे। इसके चलते वह अपने घर में ही अनशन पर बैठ गए। जहां से उन्हें शाम को हिरासत में ले लिया गया था। देर रात तक प्रशासनिक अफसर उन्हें समझाते रहे। इसके बाद सरकार बैकफुट पर आ गई। डैमेज कंट्रोल करने के लिए 5 सदस्यीय टीम गठित कर दी। फिलहाल रेडी टू ईट योजना में कार्रवाई की गई है।
जांच में रेडी टू ईट में गुणवत्ता नहीं मिलने पर की गई कार्यवाही
महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा ने बताया कि जांच टीम ने ग्रामीण क्षेत्र में जांच की थी। प्रथम दृष्टया रेडी-टू-ईट गुणवत्तापूर्ण नहीं मिली। जिसके बाद महिला स्व-सहायता समूह बरोंडा बाजार और एकता महिला स्व-सहायता समूह लभराखुर्द को बर्खास्त किया गया है। इसके साथ ही संबंधित सेक्टर की पर्यवेक्षक शशि जायसवाल बरोंडा बाजार और दीपमाला तारक लभराखुर्द को निलंबित कर दिया गया है।
कन्या विवाह योजना में भुगतान पर लगाई गई रोक, जांच जारी
संचालक दिव्या मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत साल 2019-20 और 2020-21 की खरीदी में प्रथम दृष्टया अनियमितता दिखाई दे रही है। इसके चलते साल 2019-20 और 2020-21 का संबंधित भुगतान पर रोक लगा दी गई है। मामले की जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। इससे पहले विपक्ष ने भी रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग की थी।
ब्रांडेड की जगह, लोकल सामान बांटा गया
कन्या विवाह योजना के तहत हितग्राहियों को सामग्री वितरण की जाती है। इसके लिए टेंडर भी होता है। आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड की जगह लोकल सामग्री का वितरण किया गया। इसका पता सामग्री के सत्यापन के दौरान चला था। इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-इट वितरण का मामला पकड़ा गया। करीब 10 लाख रुपए की अनियमितता सामने आई थी। जांच अधिकारी सुधारक बोदले ने 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी थी।