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कोरोना भय से खो रही मानवता : कोरोना से गई जान तो परिजन गायब, 25 साल की युवती भी लावारिस, अपनों की मौत के बाद परिजन लाश तक लेने नहीं आ रहे

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रायपुर : कोरोना वायरस केवल लोगों को ही संक्रमित नहीं कर रहा, इंसानियत को भी जैसे संक्रमित रहा है। हाल यह है कि अपनों की मौत के बाद परिजन लाश तक लेने नहीं आ रहे। ऐसा नहीं है कि यह शर्मसार कर देने वाला रवैया केवल उम्रदराज मृतकों के लिए है। 9 लावारिस लाशों में से दो युवा भी हैं। इनमें से एक की उम्र 25 और दूसरे की 38 साल है। निगम ने इनका भी अंतिम संस्कार लावारिश मानते हुए कर दिया। उल्लेखनीय है कि आंबेडकर अस्पताल में एक महीने से ज्यादा समय तक रखी 9 लाशों का रायपुर निगम प्रशासन ने शुक्रवार को देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया। मृतकों में केवल दो ऐसे थे जिनका सही नाम पते की जानकारी नहीं थी। सात मृतकों ने अपना एड्रेस लिखवाया था, जिसके आधार पर परिजनों को तलाशने का काम किया गया। लेकिन परिजन आगे नहीं आए। आखिर नगर निगम ने सभी को लावारिश मानते हुए अंतिम संस्कार कर दिया।

एक महीने से ज्यादा पतासाजी

जिला प्रशासन और निगम प्रशासन के अफसरों के मुताबिक जिन लाशों का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम में किया गया, उन मृतकों की लाश आंबेडकर अस्पताल की मरचुरी में 4, 7, 9, 13 तथा 18 अप्रैल से रखी गई है। जबकी दो अज्ञात लोगों की लाश पहले से लाकर रखी गई थी।

गलत नाम-पता दर्ज कराकर कराया भर्ती

जिम्मेदार अफसरों और पुलिस को आशंका है कि मरीज को भर्ती करते वक्त उनके परिजनों ने गलत नाम,पते के साथ मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज कराया होगा। साथ ही कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके परिजन उनकी लाश लेने नहीं आए। मरीज को अस्पताल में भर्ती कराते वक्त ही परिजनों के मन में ऐसा विचार रहा होगा। यही कारण है कि 9 की मौत के बाद कोई हालचाल लेने तक नहीं पहुंचा।

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