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मदर्स डे : मातृ दिवस- परिवार ही नहीं ब्रह्मांड के अस्तित्व का प्रतीक, संघर्षशील त्यागमयी मां की मेहनत और संस्कार से परिपूर्ण ममता में भीगी मां और बच्चों की प्रेरणामयी दास्तान

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महेन्द सिंह/पांडुका/नवापारा/राजिम/रायपुर : पूरे ब्रह्मांड की प्रतीक मां और उसकी ममता होती है पौराणिक काल से आधुनिक युग में भी एक मां के बारे में कहा गया है,,, अस्मि संसारे माता एवं परम देवत मस्ति, मातु स्वर्गादपि गरीयसी वर्तते।। अर्थात इस संसार में मां से बढ़कर कोई देवी देवता नहीं और मां का महत्व स्वर्ग से भी ज्यादा है।। क्या खूब कहा गया है, मांग लूं यह मन्नत कि फिर यही जहान मिले, फिर वही गोद फिर वही मां मिले।। आज 9 मई को पूरा विश्व मदर्स डे और हम भारतीय संस्कृति में मातृ दिवस मना रहे हैं, मां की ममता और उसके रूप अनेक छत्तीसगढ़ वाच ब्यूरो प्रमुख महेंद्र सिंह ठाकुर ने क्षेत्र के विभिन्न परिवारों की प्रेरणादाई और मन को भिगोने वाली दास्तान को कलम बध्द किया,,, मेरी मां मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत,,,, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति रविंद्र सिंह के परिवार में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पूनम सिंह और उनके इकलौते बेटे दीपक सिंह है, दीपक सिह ने बताया मेरी मां मेरी प्रेरणा स्रोत इन्हीं की स्नेहिल छाया में बचपना से लेकर आज ब्राइट कैरियर में अतुलनीय योगदान है आज मेरी स्वयं की फैक्ट्री और ट्रेडिंग का काम कर रहा हूं, मां है तो सब कुछ है इनको नमन। कठिन और विपरीत परिस्थिति में मां बनी सहारा, धमतरी और रायपुर अंचल में ख्यात ओजस्वी नर्सिंग होम के संचालक डॉ राहुल सिंह ने कहा पिछले साल पूज्य पिता श्री का अचानक देहावसान हो गया वह स्वयं सफल और ख्याति नाम चिकित्सक थे, मैं और मेरी धर्मपत्नी दोनों डॉक्टर हैं उस समय बाहर जॉब में थे अचानक आई मुसीबत से माता जी बिल्कुल नहीं घबराई हमें धीरज धराया और प्रेरणा दी पिता के नर्सिंग होम को संभालने के लिए अद्भुत है मां इन्हीं की प्रेरणा से मै और मेरी बहन डॉ रीनी सिंह व्यास क्रमशःएमएस और एमडी डॉक्टर बने इसके साथ मेरी धर्मपत्नी डॉक्टर रागनी सिंह ठाकुर जो गायकोनोलाजिस्ट हैं, सभी को अपनी स्नेहिल छाया में रखी रहती हैं। पिता नहीं रहे लेकिन मां रंजना सिंह ठाकुर ने बचपन से लेकर अभी तक हम को संभाला है, बहन की तो शादी हो गई, लेकिन मां सभी के लिए हमेशा फिक्रमंद रहती हैं। मां की सीख और मां का साथ बेमिसाल,,,, नवापारा राजिम के रहवासी छत्तीसगढ़ डेंटल और रिसर्च मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव द्वितीय वर्ष के ब्रिलियंट मेडिकल छात्र अभिषेक सिंह ठाकुर ने कहा मेडिकल क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मां का है और भविष्य का सपना जो मां ने दिया है वह प्राइमरी से लेकर अभी तक टॉप रहते हुए सिंपल डिग्री नहीं एक्सपर्ट बनकर निकलना है और पहला कर्तव्य है पहुंच विहीन पिछड़े क्षेत्र में गरीबों की सेवा के लिए मल्टीपरपज सर्व सुविधा युक्त अस्पताल खोलना इनके छोटे भाई आकाश सिह ठाकुर को इनकी मां ने न्याय के क्षेत्र में जाने की प्रेरणा दी और आठवीं पास आउट के बाद मास्टर आकाश प्रतिदिन 8 घंटे की स्टडी करते हैं मास्टर आकाश का कहना है मां की प्रेरणा मैं हूं आकाश,, छू लूंगा आकाश, अभिषेक सिंह ठाकुर पढ़ाई के अलावा घर के छोटे बड़े सारे काम, ऑटोमोबाइल, साइंस, पॉलिटिक्स सहित सारे सब्जेक्ट में अच्छी पकड़ रखते हैं, मास्टर आकाश धर्म-कर्म में आस्था कूकिंग और स्वीट्स बनाने में एक्सपर्ट हैं। दोनों भाइयों ने बताया मां का प्रोफेशन लायर का है लेकिन पिता की सलाह पर इन्होंने प्रोफेशन से ज्यादा हम लोगों की देखभाल और कैरियर पर ध्यान दिया उसी का परिणाम है हम मंजिल की ओर सरलता से सहजता से बढ़ रहे हैं। हमारे पिता महेंद्र सिंह ठाकुर अंचल के ख्याति नाम इंश्योरेंस एडवाइजर और पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़कर समाज सेवा कर रहे हैं। मा ने परिस्थितियों से लड़ना और जीतने का जज्बा सिखाया, बड़ी बहन अलका वर्मा नामी-गिरामी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर समकक्ष पद और छोटी बहन रोशनी वर्मा इंडिया की नंबर वन प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में सेल्स मैनेजर के समकक्ष पद पर रायपुर में कार्यरत हैंl परिवार में माता श्रीमती शालिन्दी देवी और पिता रामाधार वर्मा और दो भाई कुल 6 लोगों का परिवार संघर्ष की ऐसी दास्तान जो बहुत कम देखने को मिलती है मूलतः झारखंड के निवासी बचपन से संघर्ष करके ईमानदारी से आगे बढ़ना यहां पर घर की मातृशक्ति श्रीमती शालिन्दी देवी इसकी मिसाल बनी और बेटियों ने अपनी मेहनत के बल पर कम समय में वह सब हासिल कर लिया जिसके लिए दूसरों को लंबे अरसे तक इंतजार करना पड़ता है। इस बारे में दोनों बहनों ने छत्तीसगढ़ वाच ब्यूरो प्रमुख को बताया यह तो सही है भाइयों के बजाय बहनों में ज्यादा अच्छी केमिस्ट्री रहती है बड़ी बहन अलका हमेशा छोटी बहन रोशनी की शैडो रही कमाल की बात है दोनों का इंश्योरेंस सेक्टर अलग लेकिन संघर्ष के दौरान एक ही स्कूटी में दोनों बहने ऐसा तालमेल बनाकर एजेंट बनाने से लेकर कस्टमर मीट करने जाते थे कि जानने वाले दंग रह जाते थे, इनकी मां जो 12वीं तक पढ़ी लिखी धार्मिक और विदुषी महिला हैं घर में ट्यूशन करती थी और यह बहने पूरे दिन कठोर परीक्षण करने के बाद देर शाम या रात तक घर वापस आने पर ट्यूशन और घरेलू काम में अपनी मां का भी हाथ बटाती थी, परोपकार की तगड़ी भावना आज के स्वार्थी युग में यह अपने आसपास लोगों के सुख-दुख में आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम ना होने के बावजूद भर सक आर्थिक सहयोग करना अपने जानने पहचानने वालों से मदद करवाना इनके प्राथमिकता में हमेशा रहता है। आज आपने मेहनत के बलबूते सक्षम हो गए हैं इसका सारा श्रेय मातृशक्ति को जाता है।, मां हमारे अस्तित्व का प्रतीक है, महासमुंद के पीएनबी के रिटायर्ड ऑफिसर एसपी चौहान की धर्मपत्नी बेहद कर्मठ समाजसेवी हंसमुख प्रदेश भाजपा महिला कार्यकारिणी की सदस्य श्रीमती पुष्प लता चौहान के बारे में उनकी बड़ी बेटी असिस्टेंट प्रोफेसर रितंभरा चौहान और उनकी छोटी बेटी लिली चौहान जोकि खैरागढ़ के इंदिरा गांधी संगीत विश्वविद्यालय में कत्थक की पीजी डिग्री लेवल की पढ़ाई और साधना कर रही हैं इनके छोटे भाई राहुल चौहान जो बिलासपुर में कानून की पढ़ाई कर रहे हैं इन्होंने बताया, मां के बगैर हम अपने अस्तित्व की कल्पना नहीं कर सकते हैं हमारी प्रेरणा हमारी कर्म साधना हमारी आराध्य हमारी मां है आज जो कुछ भी हैं हम इन्हीं की बदौलत हैं मां केवल बच्चों पर फोकस नहीं करती वह पूरे घर को मैनेज करती है हम प्रणाम करते हैं मां को। हम हमेशा मां के कर्जदार रहेंगे।

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