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कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों की समस्याओं का हो रहा निदान

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नरसिंग मंडावी/नारायणपुर : विश्व व्यापी कोरोना बीमारी के कारण लगाये गये लाकडाउन में भी लगातार कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के हित में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में आज नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत देवगांव के किसान विक्रम सिंह देवांगन ने लाकडाउन के चलते फोन के माध्यम से बिमारी से नष्ट होते लौकी की फसल की जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र नारायणपुर प्रमुख डॉ. दिब्येन्दु दास जी को दी। जिस पर कार्यवाही करते हुए कार्यक्रम सहायक (पौध रोग विज्ञान) डॉ. सूरज गोलदार द्वारा किसान के खेत में जाकर फसलों का अवलोकन किया गया और पाया की लौकी की फसल में गमी स्टेम ब्लाइट नामक रोग के प्रकोप से लगभग 50 प्रतिशत फसल नष्ट हो चुका है, अतः परिस्थिति को देखते हुए बाकी की फसल की सुरक्षा के उपाया बताये।

बीमारी का कारण एवं उपचार
थियोफानेट मिथाईल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करना चाहिये तथा साथ ही तने के जिस भाग में क्रेकिंग हो गया है। वहां पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 4 ग्राम, 10 ग्राम चूना प्रति लीटर पानी में घोलकर उसका लेप लगाना चाहिये, इससे खड़ी फसल में रोग की रोकथाम की जा सकती है। यह बिमारी संदूषित बीजों के कारण से होता है, अतः बुवाई से पहले बीजों को कारबेंडाजिम या कैप्टन दवा की 2 ग्राम प्रति किला ग्राम बीज के हिसाब से उपचार करके बुवाई करना चाहिए तथा बुवाई से पहले मिट्टी तैयार करते समय आखरी जुताई से पहले मिट्टी में गोबर 100 किलो ग्राम) ़ ट्राइकोडर्मा (एक से डेढ़ किलो ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से) का छिड़काव करना चाहिये। इस रोग के रोगकारक मिट्टी में 2-4 साल तक जीवित रहते हैं। उचित फसल चक्र (नॉन कुकुबिटेसी फसल लगाना) अपनाकर इस रोग को कम किया जा सकता है।

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