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भोपाल का हालः कोविड प्रोटोकॉल से 187 का अंतिम संस्कार, रिकॉर्ड में सिर्फ 5 मौतें

भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के श्मशान और कब्रिस्तानों में जलती और दफन होती लाशों की संख्या सरकारी कागजों में रोजाना दर्ज हो रही संख्या से कई गुना ज्यादा है. जहां पहले एक श्मशान में रोजाना 5 से 10 लाशें आती थीं, वहीं अब 35 से 40 लाशें आती हैं. कोविड प्रोटोकॉल के तहत जलाई जाने वाली लाशों की संख्या कोरोना मौतों के सरकारी आंकड़े से काफी ज्यादा है और अब श्मशान घाट भरे नजर आ रहे हैं. सरकार इन्हें कोरोना संदिग्ध मानती है तो विपक्ष इसे आंकड़े छुपाने का खेल बता रहा है.

आजतक ने भोपाल के भदभदा श्मशान घाट और सुभाष नगर विश्राम घाट का जायजा लिया. गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार के दौरान इन दोनों श्मशानों पर कुल 187 लाशों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुआ, जबकि सरकारी आंकड़े में इन चार दिनों में कोरोना से सिर्फ 5 मौतें हुई हैं.

श्मशान घाटों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. भदभदा श्मशान घाट में हमने पाया कि यहां शव जलाने के लिए लाइन लगानी पड़ रही है. सोमवार को यहां 12 लाशें जल रही थीं और कई लाशें एंबुलेंश में थीं और मृतकों के परिजन अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे.

सरकारी आंकड़े के मुताबिक, सोमवार को पूरे मध्य प्रदेश में बीते 24 घंटे में कोरोना से 37 मौतें हुई हैं, जबकि अकेले भोपाल में एक ही श्मशान घाट की तस्वीरें कुछ और कहानी बयां कर रही हैं. भदभदा श्मशान घाट के आकंड़ों के मुताबिक, बीते 4 दिन में 133 लाशों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया है. यहां गुरुवार को 31, शुक्रवार को 29, शनिवार को 34 और रविवार को 39 लाशें कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जलाई गईं.

इसी तरह भोपाल के सुभाष नगर विश्राम घाट में भी बीते चार दिनों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत 54 अंतिम संस्कार हुआ है. 8 अप्रैल गुरुवार को 7, शुक्रवार को 8, शनिवार को 16 और रविवार को 23 लाशें कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जलाई गई हैं. वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन 4 दिनों में भोपाल में महज 5 कोविड मरीजों की मौत हुई है. सरकार ने गुरुवार को 2, शुक्रवार को 1, शनिवार को 1 मौत और रविवार को 1 मौत की सूचना दी है.

सरकारी आंकड़ों और श्मशान में जलती लाशों के अलग आंकड़ों पर कांग्रेस सवाल उठा रही है. कांग्रेस के जीतू पटवारी ने सरकार की एक साल की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके लिए दोषी मध्य प्रदेश की सरकार है. जहां 10 लाशें आती थीं, अब रोजाना 100 आ रही हैं. हालांकि, कोविड मौतों के इन आंकड़ों के अंतर पर सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने तर्क दिया कि संदिग्ध कोविड मरीजों का अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकाल से किया जाता है, इसलिए ऐसा अंतर दिखता है, सरकार की मंशा आकंड़े छिपाने की नहीं है.

शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी मुख्यमंत्री की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मौतों के अंतर की वजह ये है कि कोविड मरीजों और संदिग्ध कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार एक ही प्रोटोकॉल के तहत किया जाता है.

काल बने कोरोना के चलते श्मशान में चिंताओं के अंतिम संस्कार के लिए जगह तक नहीं बच रही. ऐसे में शमशान और सरकार के रिकार्ड में मौतों का ये अंतर कई सवाल खड़े कर रहा है.

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