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लोक जैव विविधता पंजी में किशोर के देशी बीज संरक्षण को किया शामिल

संजय महिलांग/नवागढ़ : जैव विविधता के क्षेत्र में किए जा रहे काम के लिए नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत के बीज संरक्षण संवर्द्धन को लिपिबद्ध किया है इसे छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड नया रायपुर ने लोक जैव विविधता पंजी 2021 नाम से पुस्तक प्रकाशित किया है। किशोर के 56 से अधिक परम्परागत देशी धान की किस्में,एक दर्जन से अधिक देशी गेंहू एवं अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों,पेड़-पौधे वनस्पतियों व सब्जियों की प्रजातियों के संरक्षण संवर्धन के लिए शामिल किया गया।

क्या है बायोडायवर्सिटी

बैक्टीरिया से लेकर हाथी तक, उडऩे वाले पक्षी, जलजंतु और पेड़ पौधे वनस्पतिया यानी जितने भी जीव धारी है। वह सभी बायोडायवर्सिटी के घटक है। इनमे कुछ एक दूसरे के पूरक है तो कुछ नियंत्रक भी। और यह सभी जंतु प्राकृतिक ढंग से रह पाए यही जैव विविधता संरक्षण है। यह एक दूसरे से इस प्रकार जुड़े है कि यदि इनमे एक कड़ी भी अलग हुई तो प्रकृति का संतुलन प्रभावित हुए बिना नही रहेगा। उदाहरण के लिए यदि चिडिय़ा न हो तो बरगद पीपल उदम्बर भी समाप्त हो जाएंगे। क्योंकि उनके पेड़ के नीचे करोड़ों बीज बिछे रहते है पर एक भी अंकुरित नहीं होता। पीपल बरगद और उदम्बर का बीज तभी जमता है जब पहले चिडिय़ा फलयुक्त बीज को खाती है और उनके आहार नली की हल्की-हल्की आंच में उसकी बेदरिग हो जाती है। वह किसी पेड़ के कोटर कुए की जगत, घर के मुडेर में बीट करती है। पर अगर यह तीनों पेड़ न हो तो चिडिय़ा भी भूख में मर जाएगी। क्योंकि बाकी पेड़ तो मौसम -मौसम में फल देते है। पर बरगद,पीपल,उदम्बर ही ऐसे वृक्ष है जिनमे रोज फल आते है और रोज पकते है। इसलिए पर्यावरण की समझ और संरक्षण दोनों जरूरी है।।

कौन हैं किशोर राजपूत

नगर पंचायत नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत बीते 6–7 सालों से देशी बीजों के संग्रहण और संवर्धन-संरक्षण में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपनी 2 एकड़ का खेत देशी धान की प्रजातियों के प्रयोग के लिए रखा हुआ है। वे अब तक छप्पन धान की प्रजातियां चिन्हित कर उनके संवर्धन की दिशा में काम कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने अपने आस-पास के जिले बिलासपुर, बस्तर,और सरगुजा, बलौदाबाजार भाटापारा के गांव-गांव जाकर तेजी से विलुप्तता की कगार पर जा रही धान,गेंहू,औषधीय पौधों की अलग-अलग किस्मों के बीज सहेजे और उनकी खुद खेती कर उनके गुणधर्म को पहचाना।

विलुप्त खेती को दे रहे बढ़ावा

इस तरह आज उनके संरक्षण में समृद्धि स्वदेशी बीज बैंक के पास न सिर्फ कोदो, कुटकी,रागी, ज्वार, मक्का आदि की अनेक प्रजातियां है ही बल्कि 56 प्रकार की परंपरागत देशी धान किस्मे, अनेक प्रकार के देशी गेंहू,300 देशी सब्जियों के बीज तथा सैकड़ों प्रजाति के पेड़-पौधे वनस्पतिया भी संरक्षित है। जिन्हें समृद्धि स्वदेशी बीज बैंक छोटे-छोटे भू-खंडों में उगवाने का काम का काम करती हैं।

बिना खाद के होती है खेती

इसमें देशी बीजों का इस्तेमाल करने के साथ ही बिना किसी रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल किए हुए वे बेहतर उत्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने आस-पास गांवों के किसानों को भी अपने खेतों में धान और कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा आदि मोटे अनाज की खेती के लिये प्रेरित कर उन्हें हरसंभव मदद करते हैं।

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