- नारायणपुर में सरपंच द्वारा कराया जाता है अवैध रूप से रेत का उत्खनन
- ज़िले के सभी रेत खदानों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के नियमो का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है
पुरुषोत्तम कैवर्त /कसडोल : देश के संसाधनों को लूटते रेत माफिया और उन्हें मिलने वाली सियासी सरपरस्ती से संघर्ष करती ईमानदारी।देशभर के प्राकृतिक संसाधनों को गिद्ध की तरह नोचने वाले माफिया अपने सियासी रसूख की बदौलत खुलेआम नदियों का सीना चीर कर बालू का अंधाधुंध अवैध खनन करते रहते हैं।जिसका अवैध रूप से लाभ लेने में स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पीछे नहीं हैं।
ऐसा ही एक मामला ज़िले के कसडोल विकासखंड के महानदी किनारे बसे ग्राम पंचायत टेमरी के आश्रित गांव नारायणपुर में भी कुछ तरह का नज़ारा देखने को मिल रहा है जहाँ नदी के विपरीत छोर में बसे अमलडीहा में रेत घाट संचालित है,किन्तु अमलडीहा रेत घाट में रेत की कमी का भरपूर अवैध लाभ नारायणपुर निवासी ग्राम पंचायत टेमरी सरपंच सुरेंद्र निषाद एवं गांव के ही उनके कुछ सहयोगियों द्वारा लिया जा रहा है। जो रेत उत्खनन कर्ताओं से प्राप्त रुपयों का ग्राम विकास पर लगाने के नाम पर अमलडीहा रेत घाट के उत्खननकर्ताओं से सांठ-गांठ कर नदी के बीचों बीच रेम्प निर्माण करा कर अपने गांव के सीमा पार से रेत का अवैध उत्खनन करा रहा है।
इस मामले में सरपंच सुरेंद्र निषाद से पूछने पर इस मामले में कुछ भी कहने पर इंकार कर दिया गया किन्तु उनके कुछ सहयोगियों पर पूछने पर बताया गया कि सरपंच द्वारा जो भी किया जा रहा है सब ठीक है ऐसे भी हमारे गांव में कुछ भी कार्य शासन द्वारा स्वीकृत कराया नहीं जाता। काम से कम रेत उत्खन कर्ताओं से प्राप्त रुपयों का पिछले दस वर्षों से विभिन्न विकास कार्य कराया जाता रहा है।गांव में सार्वजनिक रूप से कराए जाने वाले उत्सवों पर उन्हीं रेत उत्खनन कर्ताओं के द्वारा दिये गये रुपयों का उपयोग किया जाता रहा है।
जिलें में रेत की कमी न हो व अवैध उत्खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने रेत खदानों की स्वीकृति दी है। जिसमें बलौदाबाजार ज़िले के रेत खदान भी शामिल है। मगर संचालित की जा रही रेत खदानों में नियमो का पालन नही किया जा रहा है। दरअसल ज़िले के सभी रेत खदानों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के नियमो का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। रेत खदानों में ठेकेदार के द्वारा चैन माउंटेन से रेत उत्खनन किया जा रहा है। ठेकेदार का चैन माउंटेन मशीन धड़ल्ले से महानदी का सीना छलनी कर रहा है।
भारत सरकार वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नोटिफिकेशन एवं इसमे किए गए संशोधनों के अनुसार रेत खदानों में खदान संचालन के लिए दी गई पर्यावरणीय अनापत्ति में यह शर्त होती है कि, रेत का खनन मानव श्रम से किया जाए जिसमे मशीनों से रेत उत्खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध है। रेत उत्खनन में ठेकेदार राष्ट्रीय हरित न्यायालय एनजीटी के आदेश की बेखौफ धज्जियां उड़ा रहा है और जिलें का खनिज विभाग मौन साधे बैठा है।
नई सरकार के गठन बाद ग्राम पंचायतों से खदान संचालन जारी करने की शक्ति वापस लिए जाने के बाद छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के अंतर्गत इलेक्ट्रानिक निविदा के माध्यम से उत्खनन पट्टा आबंटित किया गया है। छत्तीसगढ़ की प्रदेश सरकार एक ओर रेत खदानों में अवैध खनन रोकने नियमानुसार नीलामी के माध्यम से रेत खदानों का आबंटन कर रही है। दूसरी ओर जिले के सभी रेत खदानों में चैनमाउंटेन मशीनों से दिन रात रेत खनन का कार्य किया जा रहा है।
खनिज विभाग के अधिकारी मामले की जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए दिखवाने की बात कह रहे है। कुल मिलाकर तथ्य यह है कि बिना विभाग की मदद के अवैध खनन नहीं हो सकता है। वैध खनन की आड़ में स्वीकृत गहराइयों से अधिक गहराइयों तक पहुंच कर रेत खनन किया जा रहा है।
हो रहा महानदी का सीना छलनी
मशीनों से रेत उत्खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध होने के बावजूद ज़िले के सभी रेत खदान में एनजीटी के नियमो की खुलेआम धज्जिायां उड़ाई जा रही है। ठेकेदार के द्वारा चैन माउंटेन मशीनों से रेत उत्खनन किया जा रहा है