रायपुर : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के नेफ्रोलॉजी विभाग की क्षमता में और अधिक वृद्धि हो गई है। यहां अब 12 नई हीमोडाइलिसिस मशीनें लगाई गई हैं। इससे किडनी की कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रोगियों को अत्याधुनिक और किफायती इलाज मिल पाएगा। इसके साथ ही विभाग में बैड भी अब दस से बढ़कर 40 हो गए हैं। नई क्षमताओं के जुड़ने के बाद विभाग अब और अधिक सहजता से किडनी रोगियों को सेवाएं प्रदान कर सकेगा।
विभाग में पहले आठ हीमोडाइलिसिस मशीनें थी जो अब बढ़कर 20 हो गई हैं। नई हीमोडाइलिसिस मशीनों के आने से अब और अधिक संख्या में गंभीर रोगियों के लिए हीमोडाइफिल्टरेशन सुविधा भी प्रदान की जा सकेगी। प्लाज्मा फेरेसिस और रक्त के ऑटो इम्यून डिसआर्डर में भी इसका काफी अधिक उपयोग होता है। विभाग में पहले पांच तक हीमोडाइलिसिस हो पा रही थी जो अब नई क्षमता में बढ़कर 20 तक हो जाएंगी। निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर के अनुसार हीमोडाइलिसिस का प्रयोग किडनी ट्रांसप्लांट में भी होता है ऐसे में भविष्य में एम्स में होने वाले किडनी ट्रांसप्लांट में भी इनका काफी प्रयोग संभव हो सकेगा। एम्स का प्रयास है कि इस वर्ष रीनल ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध हो जाए।
विभागाध्यश्र डॉ. विनय राठौर ने बताया कि इसके साथ ही विभाग में बैड की संख्या भी बढ़कर 40 हो गई है। पहले यहां 10 बैड थे। हाल ही में 30 नए बैड यहां उपलब्ध कराए गए हैं। अब विभाग तीन गुना ज्यादा आईपीडी रोगियों को भर्ती कर सकेगा। विभाग के आईपीडी प्रतिमाह 70 से 80 रोगी आईपीडी में पहुंचते हैं। इन रोगियों को अब हीमोडाइलिसिस की सुविधा अधिक सहजता से उपलब्ध होगी। आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिए यह निःशुल्क उपलब्ध होगी।