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हजारो भक्तजन शिवलिंग को बांहों में भर आशीर्वाद लेेनेे पहुंचेंगे ग्राम गोबराहिन

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  • केशकाल विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कई जगहों पर है शिवलिंग स्थापित
प्रकाश नाग / केशकाल :  फूलों की घाटी नैसर्गिक वादियों का पहचान है केशकाल नगरी साथ ही गोबराहीन का ऐतिहासिक विशाल शिवलिंग भी इसकी ख्यति में श्रीवृद्धि करता है। इस शिवलिंग को लोग दोनों बाहों में भरकर अपना भाग्य आजमाने की कोशिश करते हैं। ऐसी मान्यता प्रचलित है कि ऐसा करने पर जिस भक्त की दोनों हाथों की उंगलियां स्पर्श करने लगे, वह भाग्यशाली होता है आदिकाल से ईंट के टीले के ऊपर यह शिवलिंग मौजूद है। जिसे प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के 1 दिन पूर्व स्थानीय लोग साजसज्जा से सजाते हैं और मेला भी आयोजित किया जाता है जिसके दर्शन के लिए हजारों लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं । इस शिवलिंग के विषय में जानकार लोग बतलाते हैं कि एक स्थानीय आदिवासी को स्वप्न में स्वयं भगवान शिव ने यह बात बतायी कि ईंट के टीले के ऊपर शिव लिंग मौजूद हैं। जब टीले की मिट्टी हटाई गयी तो यह शिवलिंग मिला। पुरातत्व वेत्ताओं के मुताबिक इस स्थान पर प्राचीन मंदिर स्थित था, जो कालांतर में ध्वस्त हो गया। टीले के नीचे ईंट निर्मित संरचनाओं का पता चलता हैं। इस स्थल की भारतीय पुरातत्व संरक्षित घोषित किया हैं। राज्य सरकार ने भी इसे राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया हैं, लेकिन इस स्थल की खुदाई और संरक्षण के विषय में गंभीर पहल अब तक नहीं हुई। इस स्थान के आस पास नौ मंदिरों के भग्रावशेष मिले हैं। साथ ही लगभग दो दर्जन प्राचीन टीेले मौजूद हैं। विशाल शिवलिंग के दक्षिण दिशा में स्थित पहाड़ी मारी में 18 जरीब लम्बा और 12 जरीब चैड़ा समतल स्थल है, जिसमे प्राचीन किला होने के अवशेष मौजूद हैं। इस स्थल को ग्रामीण कर्ण का किला बताते हैं। विशाल शिवलिंग व नौ मंदिरों के भग्रांवशेष के अलावा एक किमी दूरी पर स्थित जोड़ा शिवलिंग भी भक्तों की आस्था का विषय बना हुआ हैं। ग्रामीण के मुताबिक गोबराहीन का नाम विशाल शिवलिंग के पास स्थित प्राचीन तालाब के चलते पड़ा इस तालाब का पानी कसैला है, पर कभी सूखता नहीं है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब पर माप पूर्णिमा पर भरने वाले मेेले में हजारों श्रद्धालु स्नान कर मनौती मांगते हैं ।
केशकाल से 8 किमी दूर नारना का चमत्कारी शिवलिंग मे लगेगा मेला
ग्राम नारना में भगवान भोलेनाथ का ऐसा मंदिर है, जहां स्थित शिवलिंग पत्थर पाँचवी, छठवी शताब्दी का है जो गोबराहीन के शिवंलिंग के पत्थर से मिलता-जुलता हैं। इस क्षेत्र के परमार्थ आश्रम अड़ेगा सचांलक स्वामी नंदाचार्य जी के अनुसार ग्राम नारना के इस शिवलिंग में जो भी व्यक्ति जिस मनोकामना से प्रार्थना कर शहद, दूध, दही व शक्कर आदि लेकर शिवरात्रि के दिन पूजा आर्चना करें तो उसके सभी मनोंकामना अवश्य पूर्ण होगें। लोगो का यहाँ भी मानना है कि जो भी आजतक सच्चे मन से नारना के इस मंदिर में प्रार्थना की है उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण हूई है।
गारका के शिव मंदिर में भक्तों कि भीड़
केशकाल से जगदलपुर जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग मे स्थित ग्राम गारका मे भी प्रतिवर्ष  महाशिवरात्रि के अवसर पर  मेला आयोजित होती है। इस मंदिर में आसपास क्षेत्र के सैकड़ों भक्त शिव जी के दर्शन करते हैं और मेले का अन्दन भी लेते हैं ।
ग्राम पीपरा में जोड़ा शिवलिंग विराजमान है
केशकाल से चैदह किमी की दूरी पर ग्राम बहीगांव के बांयी ओर  ग्राम पीपरा में जोड़ा शिवलिंग का मंदिर है प्रारंभ में इस मंदिर कि जानकारी लोगों को नहीं थी, इस क्षेत्र के व्यापारी बैलगाड़ी के माध्यम से जब जाया करते थे। तब नाले के पास उनकी गाडी इन दोनों पत्थरों में अटक जाती थी। तब ध्यान से किसी ने देखा तो छोटे व बडे़ पत्थर एक ही स्थान में जुड़े हुए मौजूद थे। ग्राम वासियों ने उसे एक मंदिर का रूप दिया वहां से लेकर आज तक महाशिरात्रि के पर्व पर एवं श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को इस क्षेत्र के भक्तों कि भारी भीड इस मंदिर पर लगती है।
ग्राम अमोडा में है चमत्कारी शिवलिंग
केशकाल से चैदह किमी दूर बहीगांव से व्यापारीपारा होकर उस स्थान पर पहुँचते है। यहां पर पेड़ों के नीचे बांयी ओर एक चमत्कारी शिवलिंग काफी समय से स्थापित है। इसकी जानकारी ग्रामिणों ने बस्तर पुरातत्व समिति केा दी तथा यह भी बताया कि इस शिवलिंग की ऊँचाई धीरे-धीरे बढ रही है।  कई वर्षों गाँव के ही एक ग्रामीण अनजाने में कुल्हाडी से इस लिंग को छुने की कोशिश किया था कि तुरंत बाद ही उस व्यक्ति का गर्दन टेढ़ा हो गया था। व स्थानीय बैगा ने आकर उस शिवलिंग के सामने पूजा-अर्चना की और क्षमयाचना की परिणाम स्वरूप उस ग्रामीण का गर्दन सीधा हो गया। तब से लेकर आज तक इस मंदिर में भी शिवरात्रि के दिवस में भण्डारा और दर्शन प्राप्त होता है।
केशकाल के टाटामारी में भी स्थापित है अर्धनारीश्वर मुर्ति
क्षेत्र के पहले इसी मूर्ति है जिन में अर्धनारीश्वर मुर्ति पर भगवान भोेलेनाथ विराजमान है, जहां पर श्रद्धालु पहुँचकर मूर्ति के दाहीने हाथ पर अपना दाहीना हाथ रखकर अपनी मनोकामना की मांग जप करते है। तो उनकी भी मनोकामना भोलेनाथ पूर्ण करते है । टाटामारी पर्यटन हजारों लोगो की भीड़ उमड़ पड़ती है ।
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