किरीट ठक्कर/ गरियाबंद : जिला मुख्यालय नगरीय क्षेत्र से लगे हुए ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों भू – माफिया सक्रिय हैं। इस अवैध कारोबार से जुड़े लोग सस्ती दरों पर कृषि भूमि खरीद कर प्लाटिंग कर रहे हैं और बिना डायवर्सन बिना कालोनाइजर एक्ट का पालन किये आम लोगों को झांसे में लेकर प्लाट कि बिक्री कर रहे हैं। संबंधित कर्मचारियों अधिकारियों की मौन स्वीकृति समझ से परे है। आम चर्चा है कि इस खामोशी के बदले इन्हें नगद नारायण के अलावा जमीनें भी नजराने में दी जा रही है। इस नजराने की बदौलत आलम ये है कि भिखमंगी सूरत लिये यहाँ ज्वानिंग के लिए पहुंचे अधिकारी कर्मचारी , कुछ अर्से बाद ही बादशाही ठाठ बसर करतें है। चार फुटिये बल्लियों ऊपर तक उछलते है और जाते वक्त नवाबों सी रुखसती पाते हैं। छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम की धारा 61′ क , से ‘ छ , तक कालोनी निर्माण के लिए जारी प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कृषि भूमि को बिना व्यपवर्तित किये तथा कालोनी निर्माण का रजिस्ट्रेशन कराये बिना , कृषि भूमि को आवासीय प्रयोजन के लिये छोटे छोटे टुकड़ों में विक्रय करता है तो उसका यह कृत्य अवैध कॉलोनी निर्माण की श्रेणी में आयेगा।
भू – माफिया के झूठे वायदों से सावधान रहें
भू – माफिया व जमीन दलालों के झूठे वायदों में फंसकर ज़मीन प्लाट खरीदने वाले खरीददारों को बाद में पछताना पड़ सकता है। इन खरीददारों को डायवर्सन तथा एनओसी के लिये महीनों सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ सकतें है। भू-माफ़िया के झांसे में आये लोगों को बाद में बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ सकता है। इसीलिये किसी भी तरह की कृषि भूमि पर प्लाट खरीदने के पहले ये जान लें की संबंधित विक्रयकर्ता द्वारा उक्त खसरा नंबर के भूखंड पर कितनी संख्या में प्लाटिंग की गई है ? विक्रयकर्ता द्वारा कालोनी विकास अनुज्ञप्ति ली गई है अथवा नहीं ? ज़मीन का आवसीय डायवर्सन है या नहीं ? टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग से कालोनी निर्माण के लिए अनुमति ली गई है अथवा नहीं ? यदि एक एकड़ से कम क्षेत्र की कॉलोनी है तो तो संबंधित नगरीय निकाय ( पालिका ) में आश्रय शुल्क जमा कराया गया है अथवा नहीं ? ये सभी जानकारी ले कर ही आप अपने घर के लिये सावधानी पूर्वक ज़मीन ख़रीदे।
सुनियोजित प्लाटिंग का खेल , ऐसे हो रहा है
छत्तीसगढ़ भू – राजस्व संहिता की धारा 98 अंतर्गत नियमों में स्पष्ट प्रावधान है , की कृषि भूमि का 0.05 एकड़ अथवा 0.05 रुपये लगान से कम उपखंड ना किया जाये। किन्तु नगरीय क्षेत्र से लगे हुये ग्रामीण क्षेत्र – ग्राम पंचायत आमदी ( म ) ग्राम पंचायत मजरकट्टा , डोंगरीगांव में भू राजस्व संहिता की धज्जियां उड़ाई जा रही है। इन गांवों की कृषि भूमि, खेत, खलिहान का समतलीकरण कर आवास के लिए प्लाटिंग की जा रही है। भू माफिया इस समतल भूमि के बीच एकाध सड़क बनाकर , सड़क के दोनों तरफ अपने अनुसार प्लाटिंग कर देते हैं , इसके बाद बिना डायवर्सन , बिना कालोनाइजर एक्ट का पालन किये , बगैर किसी एनओसी प्लाट खरीदी बिक्री का खेल शुरू हो जाता है।
शिकायत पर कार्यवाही नही
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस गोरख धंधे की शिकायत कुछ जागरूक नागरिकों के द्वारा , जिला , अनुभाग व तहसील स्तर पर की गई है , किन्तु सरकारी अमला उपहार पाकर आंनदित है। लाजमी है कि जिन भुख्खड़ों को कभी एक रोटी नसीब ना होती हो, उन्हें सामने वाला यदि छप्पन भोग परोसे तो वे उसके एहसानमंद होंगें ही। चलिये भरपेट भोजन के बाद अब गाना गाइये …. अरपा पैरी के धार ….महानदी है हमार ….