- प्राकृतिक रंग तैयार करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण
- महिलाओं को प्रशिक्षित कर आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने की पहल सराहनीय-श्रीमती तुलिका प्रजापति
आफताब आलम/ बलरामपुर : होली का त्यौहार आने वाला है, रंगों और गुलाल से इस त्यौहार को मनाने की परम्परा रही है। त्यौहार खुशियां तो लेकर आता ही है, साथ ही साथ कमाई के मौके भी देता है। होली के त्यौहार में लोगों द्वारा रंग-गुलाल के उपयोग को देखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र बलरामपुर द्वारा आदिवासी उपयोजनान्तर्गत चार महिला कृषक समूहों को तीन दिवसीय हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। वर्तमान समय में होली में लोग जिस रंग और गुलाल क उपयोग करते हैं वह विभिन्न रासायनिक सामग्रियों के मिश्रण से बना होता है। जिसके उपयोग से मनुष्यों को कई प्रकार की बीमारियां जैसे त्वचा में एलर्जी, आंखों में खुजली, दमा, अस्थमा तथा सिरदर्द होने की संभावना रहती है। वर्तमान समय में बड़े-बड़े शहरों में रासायनिक रंग, गुलाल को छोड़ प्राकृतिक रंगों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है तथा सभी हर्बल गुलाल एवं रंगों का उपयोग करना चाहते हैं। उपरोक्त प्रशिक्षण से निश्चित रूप से महिलाओं के आय में वृद्वि होगी एवं आमजनों को किसी तरह का त्वचा संबंधित नुकसान भी नहीं होगा। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तुलिका प्रजापति ने प्रशिक्षण के अंतिम सत्र में शामिल होकर महिलाओं का उत्साहवर्धन किया और हर संभव सहयोग की बात कही। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रंग बनाने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षित कर आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने की पहल सराहनीय है। दीपावली में महिलाओं ने दीये तैयार कर अच्छी कमाई की थी, अब होली में प्राकृतिक रंग तैयार कर महिलाएं आय प्राप्त करेंगी। त्यौहारों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए प्रशासन भी विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों से उन्हें जोड़ने का प्रयास करती रहती है। इसलिए समय-समय पर महिलाओं के प्रशिक्षण तथा तकनीकी मार्गदर्शन हेतु कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। साथ ही साथ उन्होंने महिला कृषक समूहों की आय दोगुनी करने हेतु उन्हें गेंदे की खेती, अगरबत्ती तथा इत्र उद्योग से जोड़ने की दिशा में कार्य करने हेतु प्रेरित किया। मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तुलिका प्रजापति ने कहा कि वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक पदार्थों जैसे पालक, लाल भाजी, चुकन्दर, मेहंदी, चन्दन, कत्था, हल्दी, सिन्दूर, प्लास, गेंदा तथा गुलाब का फूल आदि का उपयोग कर हर्बल गुलाल बनाने की विधि का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया है। प्राकृतिक पदार्थों से रंग बनाने का यह प्रशिक्षण महिलाओं के लिए होली के इस त्यौहार की खुशियों को और बढ़ा देगी। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक श्री व्ही.एन. गौतम ने महिलाओं को प्रशिक्षित किया तथा कहा कि हर्बल गुलाल की उपयोग से त्वचा संबंधी कोई भी बीमारी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र में आगे भी महिलाओं को अन्य गतिविधियां ंके लिए भी आगे प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक श्री अनिल कुमार सोनपाकर, श्री पी.आर.पैंकरा तथा सुश्री आरती कुजूर उपस्थित थे।