प्रांतीय वॉच

महाभारत हमें समाज में रहना सिखाता है : रूपसिंग साहू

Share this
पुलस्त शर्मा/ मैनपुर : गरियाबंद ग्राम गाड़ाघाट में समस्त ग्रामवासी के अथक प्रयास एवं संत श्री गोवर्धन शरण व्यास जी महाराज महामंडलेश्वर के सानिध्य में 6 दिवसीय श्री राम चरित्र मानस महायज्ञ में अतिथि के रूप में रूपसिंग साहू सामाजिक कार्यकर्ता एवं कार्यकारी अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ रायपुर संभाग छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ ने पहुंचकर साधु संतों का सिर झुका कर प्रणाम कर आशीर्वाद लिया एवं आहुति दी साथ ही अपने आशीर्वाद वचन के रूप में उद्बोधन में कहा कि महाभारत गीता रामायण भागवत श्री राम चरित्र मानस महायज्ञ जैसे महान ग्रंथों से हर व्यक्ति और समाज को सीख लेने की जरूरत है महाभारत हमें समाज में रहना सिखाता है गीता कर्म करना सिखाता है रामायण जीना सिखाता है और भागवत महायज्ञ मरना सिखाता है छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ से जुड़े लोगों की आस्था के साथ संसार में जितने भी अवतार हुए हैं वह लोग जीवन से जुड़े रहे हैं और लोग अपने उन अवतारों को हर जगह ढूंढ लेता है इसमें भक्तों को आनंद की अनुभूति होती है उसे सहेजना एक अच्छा काम है व्यक्ति क्या है कौन है उसका सामर्थ्य और निर्बलता क्या है इन सब बातों को अगर जानान है तो उसका एकमात्र उपाय है वह है श्री रामचरित्र मानस महायज्ञ में कथा सुनकर योग के मार्ग से व्यक्ति देहदानी शरीर व मनों को पार कर आत्मा तक पहुंचा सकता है वह अपने आप को सहज रूप से पहचान सकते हैं बाकी संसार में जितने भी कर्मकांड है वह माध्यम तक सीमित है यह बात जीवन प्रबंधन एवं संगीत में सुंदरकांड पाठ हनुमान जी के सात रिश्ते शीर्षक पर कथा इसमें राम कथा भक्तों को समृद्धि सौभाग्यशाली सुनने पर हमेशा मिलता रहेगा मनुष्य को गृहस्थी जीवन में रहना चाहिए लेकिन उसकी  असकती किसी में भी नहीं होना चाहिए जिस प्रकार से ज्ञानी अपने परिवार का भरण पोषण करते हुए उसमें आसक्त होकर आना अनादि शक्ति को भूल जाता है जो धायमा है वह बच्चे को डांटते चिल्लाती है नहलाती है उसकी सेवा करती है लेकिन उसकी अशक्ति उसमें नहीं होती है अपनी अंतरात्मा में अशक्त बने रहते हुए सब कार्य करती हैं अच्छे कपड़े पहनने से कोई मनुष्य बड़ा नहीं बन जाता ज्ञान साधना गुणवत्ता से उसकी पहचान होती है गहेने ऐसे पहनो जिसमें आत्मा विभूषित हो जाए बाहर के गहने इतना मत पहनो की जिसे अंदर के गहने अंतरात्मा से दूर हो जाए शरीर पर कपड़ों का बाहरी बोझ इतना मत ला दो जिसके दबाव से अंदर के आत्मा रूपी गहने दवना जाए जीवन में यदि धारण करना है तो भावनात्मक सद्भावना के आभूषण धारण करें श्री राम चरित्र मानस महायज्ञ में श्रद्धालुओं एवं भक्तगण बड़ी तादाद में करीब 200 से 300 के बीच लोग सहपरिवार शामिल होकर पुण्य के सहभागी बनने में अर्थक पहल की।
Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *