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यूनता के कारण अति प्राचीन भारतीय संस्कृति व शासन का क्रमबद्ध इतिहास नहीं मिलताः डॉ. ठाकुर

तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़। शासकीय नेहरू कॉलेज इतिहास विभाग के अंतर्गत भारतीय इतिहास जाननें के स्त्रोत विशय पर एक दिवसीय अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में षासकीय वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी के सहायक प्राध्यापक डॉ. टी ठाकुर उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता डॉ. ठाकुर ने इतिहास को जानने के स्त्रोत पर जानकारी देते हुए कहा कि यूं तो भारत के प्राचीन साहित्य तथा दर्शन के संबंध में जानकारी के अनेक साधन उपलब्ध है। परंतु भारत के प्राचीन इतिहास की जानकारी के स्रोत संतोषप्रद नहीं है। उनकी न्यूनता के कारण अति प्राचीन भारतीय संस्कृति व शासन का क्रमबद्ध इतिहास नहीं मिलता है। फिर भी ऐसे साधन उपलब्ध है, जिनके अध्ययन व सर्वेक्षण से हमें भारत की प्राचीनता की कहानी की जानकारी होती है। इन साधनों के अध्ययन के बिना अतीत और वर्तमान भारत के निकट के संबंध की जानकारी करना भी असंभव है। प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी के साधनों को दो भागों में बांटा जा सकता है। साहित्यिक साधन और पुरातात्विक साधन, जो देशी और विदेशी दोनों हैं। साहित्यिक साधन दो प्रकार के हैं धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य। धार्मिक साहित्य भी दो प्रकार के है ब्राह्मण ग्रंथ और अब्राह्मण ग्रंथ। ब्राह्मण ग्रंथ दो प्रकार के है श्रुति जिसमें वेद, ब्राह्मण, उपनिषद इत्यादि आते है और स्मृति जिसके अन्तर्गत रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतिया आदि आती हैं। लौकिक साहित्य भी चार प्रकार के है ऐतिहासिक साहित्य, विदेशी विवरण, जीवनी और कल्पना प्रधान तथा गल्प साहित्य। पुरातात्विक सामग्रियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है अभिलेख, मुद्राएं तथा भग्नावशेष स्मारक। ब्राह्मण ग्रंथ प्राचीन भारतीय इतिहास का ज्ञान प्रदान करने में अत्याधिक सहयोग देते है।
भारत का प्राचीनतम साहित्य प्रधानतः धर्म-संबंधी ही है। ऐसे अनेक ब्राह्मण ग्रंथ है। जिनके द्वारा प्राचीन भारत की सभ्यता तथा संस्कृति की कहानी जानी जाती है। जिसमें वेद, उपनिशद, वेदांग, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियां, अब्राह्मण ग्रंथ, बौद्ध ग्रंथ, जैन ग्रंथ, लौकिक साहित्य, ऐतिहासिक ग्रंथ, विदेशी विवरण आदि इतिहास जानने के स्त्रोत है। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर ने भी छात्र-छात्राओं को दी गई जानकारी पर अमल करते हुए इतिहास विशय की महत्ता बताई व इस विशय में भविश्य बनानें के लिए होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की जानकारी दी।

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