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मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने पर की जायेगी कार्यवाही

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  •  अधिकारी एवं पर्यवेक्षक अपने दायित्वों का समर्पण भावना से निर्वहन करें

आफताब आलम/ बलरामपुर : राज्य शासन द्वारा वर्ष 2022 तक एनीमिया एवं कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लक्ष्य की पूर्ति हेतु 02 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शासन की महत्वकांक्षी योजना है तथा इसके सफल क्रियान्वयन के सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए एनीमिया पीड़ित 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं एवं शिशुवती माताओं तथा कुपोषित बच्चों को डीएमएफ मद से अतिरिक्त पौष्टिक आहार के रूप में गरम भोजन एवं अण्डा प्रदाय किया जा रहा है। योजना के बेहतर क्रियान्वयन तथा गुणवत्तायुक्त अतिरिक्त पोषण आहार से पात्र हितग्राहियों को लाभान्वित तथा वांछित लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी है। समय-समय पर कलेक्टर द्वारा योजना की प्रगति का मूल्यांकन एवं समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये जा रहे हैं। इसी क्रम में 09 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की समीक्षा के दौरान कलेक्टर को मेन्यू के अनुसार गरम भोजन, गुणवत्तायुक्त रेडी-टू-ईट-फूड एवं अण्डा नियमित रूप से हितग्राहियों को न मिलने की जानकारी प्राप्त हुई है। प्राप्त जानकारी से परिलक्षित होता है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों द्वारा सौंपे गये दायित्व का सही ढंग से पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण नहीं किया जा रहा है तथा उक्त कृत्य अनुशासनहीनता एवं घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है। कलेक्टर श्री श्याम धावड़े ने समस्त परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों को अपने दायित्वों का समर्पण भावना से निर्वहन करने के निर्देश दिये हैं तथा भविष्य में अनुशासनहीनता एवं लापरवाही बरतने पर जिम्मेदार मानते हुए कठोर अनुशासनात्मक एवं दण्डात्मक कार्यवाही करने की बात कही है।

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