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भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय, भूख, रोग व संताप सब कुछ स्वत: ही नष्ट हो जाता है : बाल विदुषि आरती दीदी

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राजशेखर नायर/नगरी। पोमाक्ष के प्रथम जन्मदिन के उपलक्ष्य में बाजार चौक, नवागांव (क) में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया। 16 वर्षिय भागवत कथा वाचक छ.ग. विभुति, बाल विदुषी आरती दीदी व समस्या निवारण ज्ञान यज्ञा कर्म,10 वर्षिय ज्योति दीदी ने श्रध्लुओ को भागवत कथा का रसपान कराया। बाल विदुषी आरती दीदी ने श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कहा की श्रीमद् भागवत कथा के वाचन व श्रवण से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। संसार के दुखों से मुक्ति मिलती है व ईश्वर प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। भागवताचार्य आरती दीदी ने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके श्रवण मात्र से भय, भूख सब कुछ स्वताः ही नष्ट हो जाता है। अतः व्यक्ति को अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए भागवत कथा को ध्यान पूर्वक सुनना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। नगरी निवासी, पंडित देवव्रत शास्त्री की सुपुत्रि बाल विदुषी आरती दीदी 9 वर्ष के आयु से ही भागवत प्रवचन करती आ रही है, उन्होंने अब तक 56 स्थानों पर भागवत प्रवचन पाठ पूर्ण किया है। उनकी दूसरी 10 वर्षीय सुपुत्री ज्योति दीदी, समस्या निवारण यज्ञ कर्म ,5 वर्ष की आयु से ही करती आ रही हैं। बाजार चौक नवागाव गांव (का) निवासी यशवंत सिन्हा के सुपुत्र पोमाक्ष के प्रथम जन्मदिन के अवसर पर आयोजित,भागवत प्रवचन कार्यक्रम में प्रथम दिवस कलश प्रतिष्ठा, उद्देश्य एवं महात्म्य, गोकर्ण कथा, परिक्षित जन्म एवं चरित्र, वाराह अवतार कथा। द्वितिय दिन कपील भगवान जन्म ,ध्रुव चरित्र ,भगवान नरसिंह का प्राकट्य। तृतिय दिवस जड़ भरत, प्रहलाद चरित्र ,भगवान नरसिंह का प्राकट्य। चौथे दिवस समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्री राम जन्मोत्सव कथा ,श्री कृष्ण जन्मोत्सव कथा पोमाक्ष सिन्हा जन्मोत्सव कार्यक्रम। पंचम दिवस श्री कृष्ण बाल लीला, गोवर्धन पूजा, रुक्मणी विवाह।
षष्टम दिवस प्रद्यूम्य जन्म, जामवंती सत्यभामा विवाह, सुदामा चरित्र कथा एवमं अन्तिम दिवस परिक्षित मोक्ष कथा, तुलसी वर्षा ,श्रीमद भगवत गीता सार का कथावाचन किया गया साथ ही ज्योति दीदी ने समस्या निवारण यज्ञ, हवन किया। आयोजन में संतराम सिंहा, यशवंत सिंहा, श्रीमती कला बाई, श्रीमती अंकिता सिंहा व समस्त ग्रामवासियों का विशेष योगदान रहा।

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