प्रांतीय वॉच

सत्कर्म के साथ भगवान की सच्ची भक्ति करने से परम मोक्ष की प्राप्ति होती है : कालेश्वर प्रसाद तिवारी

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महेन्द्र सिंह/ पांडुका/ नयापारा( राजिम ) : जब चारों और अंधकार दिखता है और पापाचार बढ़ता है और ईश्वर के सच्चे भक्त मुश्किल में पड़ते हैं ईश्वर स्वयं भक्त पुकारे या ना पुकारे उसकी मदद के लिए पहुंच जाते हैं उक्त बातें छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवत आचार्य श्री श्री 1008 श्री पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी जी जेंजरा वाले ने ग्राम कोसमर्रा के नए बाजार चौक स्थित कथा स्थल में सैकड़ों भक्तों के बीच उक्त प्रवचन में कही।
श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन
कोसमर्रा भाखरा जिला धमतरी के धर्म प्रेमी समाजसेवी खेमेश्वर राव वाकड़े एवं श्रीमती जयश्री वाकड़े तथा उनकी पुत्री मोनिका वाकडे के सौजन्य से संपन्न किया जा रहा है 20 जनवरी को भागवत कथा की शुरुआत हुई और 23 जनवरी को भगवत कथा के चौथे दिन भगत और भगवान के बारे में भागवताचार्य पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी ने ध्रुव चरित्र, जड़भरत चरित्र, प्रहलाद चरित्र के माध्यम से भक्ति ज्ञान की गंगा बहा दी एवं मनोहारी वर्णन किया कि लोगों की आंखों में आंसू से डबडबा गए । उक्त प्रेरणादाई भक्ति भरे संसार के साक्षी बने महेंद्र सिंह ठाकुर सीजी वॉच ब्यूरो प्रमुख।

प्रहलाद और ध्रुव जैसे बने हमारे देश के युवा
पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी शुरू से भागवत पुराण के प्रसंगों का आधुनिक करण के जीवन शैली और आदर्श पर भी केंद्रित करते हैं इसी कारण इनके भागवत की अत्यधिक विशेषता रहती है ध्रुव जैसे भक्त और भगवान का कैसा संबंध रहता है जहां संबंध उसको ध्रुव चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि अनादि काल से ध्रुव तारा बनकर अपने चरित्र को अमर किया भक्त ध्रुव ने क्योंकि अपनी सौतेली मां की उलाहना पर पिता की गोद से उतर कर भगवान की पिता की भक्ति में लीन होकर ईश्वर को मजबूर किया और स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु ने उसे अपनी गोद में बैठाया और उसे अमर जिंदगी प्रदान की।
इसी तरह से भक्त प्रहलाद धर्म की प्रथम प्रतीक बना हुआ है राक्षस कुल में जन्मे हुए प्रभु नारायण प्रभु श्री हरि विष्णु की भक्ति करते हैं उसे कोई कसर नहीं छोड़ी तमाम अत्याचार और बाधाओं पार करते हुए भी भगवान नारायण के विशेष कृपा पात्र बने मैं आज की युवा पीढ़ी से आवाहन करता हूं चाहे कितनी भी परेशानी या मुश्किल की घड़ी आए आप अपने कठोर समय में परिवार और भगवान को मन में याद करते हुए भक्त प्रहलाद और ध्रुव जैसे बने।

अजामिल जैसे हरि भक्त ने अपने पुत्र का नाम नारायण रखकर अपने जीवन उद्धार कर लिया और जड़ भरत नामक राजा के नाम से भारत देश प्रसिद्ध हुआ।।

उक्त कथा में पंडित श्री कालेश्वर प्रसाद तिवारी जी ने बताया कि अजामिल जैसे हरि भक्त ने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा और अपने जीवन का उद्धार किया
ठीक उसी प्रकार जड़ भरत नामक राजा के नाम से भारत देश का नाम पड़ा और भारत देश पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ।

सब का रखवाला है दीनदयाला
ईश्वर की महिमा अपरंपार है भगवान ने अजामिल जैसे को भी मोक्ष प्रदान किया वही अवतार के माध्यम से जीवन जीने का सार्थक मार्ग बताया भागवत आचार्य पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी ने समस्त भक्तों को भागवत पुराण के बातों को आदर्श की तरह जीवन में हमेशा उतारने के लिए मार्मिक अपील की और जीवन को सफल बनाने को कहा। उक्त संगीतमय भागवत पुराण के परायण कर्ता पंडित मनोज दुबे सोरिद नगर निवासी थे ।भागवत पुराण में कथा का रसपान करने के लिए कमलेश राव गायकवाड श्रीमती प्रेमलता गायकवाड योगेंद्र राव कलमकार श्रीमती भाग्यश्री कलमकार योगेश्वर राव जगताप श्रीमती रागिनी जगताप चंपा बाई गायकवाड श्रीमती नैनी कलमकार यशवंत राव पवार ईश्वरी देवी पवार यशस्वी राव वाकडे श्रीमती संगीता देवी तेजस्वी राव वाकडे रामनाथ साहू घनश्याम पटेल दिनेश साहू के साथ मोक्षित रिया लल्ला पीहू हल सहित आसपास के गांव के सैकड़ों लोग उपस्थित थे ।

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