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उज्ज्वला गृह में रहने वाली लड़कियों के यौन शोषण और देह-व्यापार के लिए बाहर भेजे जाने के मामले की तहक़ीक़ात के लिए न्यायिक आयोग गठित किया जाए : भाजपा

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  • नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक की मांग : बिलासपुर के उज्ज्वला गृह के मामले में पुलिस ख़ुद आरोपों को घेरे में है, इसलिए पुलिस की भूमिका को भी जाँच के दायरे में लिया जाए

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बिलासपुर के सरकारी उज्ज्वला गृह (शेल्टर होम) में रहने वाली लड़कियों के यौन शोषण और उन्हें देह-व्यापार के लिए बाहर भेजे जाने के मामले के ताज़ा खुलासे को लेकर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। श्री कौशिक ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक स्थिति है कि सरकार द्वारा संचालित इस शेल्टर होम में युवतियों के साथ न केवल यौन शोषण, दुष्कर्म जैसी घटनाएं अंजाम दी गईं, अपितु देह-व्यापार के लिए बाहर जाने से मना करने वाली युवतियों को प्रताड़ित कर उनसे मारपीट की जाती रही, उन्हें कपड़े उतारकर कमरे में बंद कर दिया जाता था। पीड़िता युवतियों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयानों में कई गंभीर खुलासे किए हैं। नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने तत्काल न्यायिक आयोग गठित कर इस पूरे मामले की तहक़ीक़ात की मांग करते हुए कहा कि उज्ज्वला गृह में जो कुछ हुआ है, वह पूरे प्रदेश को शर्मसार करने वाली घटना है। अगर सरकार के संरक्षण में रह रहीं बेटियाँ ही सुरक्षित नहीं हैं तो राज्य के दूसरे हिस्सों में बेटियों की स्थिति क्या होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। श्री कौशिक ने कहा कि प्रदेश के कांग्रेस शासनकाल में महिलाओं की अस्मिता से खिलवाड़ के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं जो प्रदेश सरकार के कलंकपूर्ण कार्यकाल की सच्चाई को बयान करने के लिए पर्याप्त हैं। प्रदेश में पिछले दो वर्षों में, और विशेषकर कोरोना संक्रमण काल व लॉकडाउन में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर लगातार दुर्व्यवहार, यौन हिंसा व अपहरण जैसे आपराधिक मामलों का ग्राफ़ बढ़ा है। श्री कौशिक ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सुरक्षा के प्रदेश सरकार के दावों का खोखलापन प्रदेश देख रहा है। रोज़ महिलाओं के साथ घट रहीं आपराधिक वारदातों के बाद भी प्रदेश सरकार और उसका पुलिस तंत्र कोई ऐसा क़दम उठाने की इच्छा शक्ति नहीं दिखा पाया है, जिससे अपराधियों में क़ानून के राज का ख़ौफ़ क़ायम हो। नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि बिलासपुर के उज्ज्वला गृह के मामले में पुलिस ख़ुद आरोपों को घेरे में है, इसलिए इस मामले में पुलिस की भूमिका को भी जाँच के दायरे में लिया जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पुलिस ने यहाँ से भागकर थाने पहुँचकर जो बयान दिया था, क्या उससे छेड़छाड़ की गई थी? यह काफी गंभीर मसला है कि पुलिस पर शिकायत करने पहुँची युवतियों को रात तीन बजे तक थाने में रोककर रखे जाने, यौन प्रताड़ना और देह व्यापार के लिए बाहर भेजे जाने की बात रिपोर्ट में नहीं लिखे जाने और मामूली मारपीट की धाराएँ लगाकर युवतियों को लौटा दिए जाने का आरोप है। श्री कौशिक ने उज्ज्वला गृह में खाने में दवा मिलाकर युवतियों को बेसुध करके सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। श्री कौशिक ने युवतियों के उस आरोप को भी महत्वपूर्ण तथ्य बताया है, जिसमें इन युवतियों पर अब इस मामले में चुप रहने और बयान बदलने के लिए दबाव बनाए जाने की बात कही गई है। इस मामले में पीड़ित युवतियों को इंसाफ़ दिलाने के बजाय जाँच में लीपापोती करके आरोपियों को मदद की जा रही है।

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