बालकृष्ण मिश्रा/ सुकमा। रामाराम में कई वर्षों से अवैध क्रेशर चल रहा है। कुछ माह पूर्व तब के कलेक्टर महोदय को गांव के लोगों द्वारा क्रेशर व खदान के खिलाफ शिकायत करने पर बंद कर दिया गया था, लेकिन एकाध सप्ताह में पुन: शुरू किया गया। उल्लेखनीय है कि जिले के प्रमुख अधिकारियों के समक्ष पूर्व में ग्राम सभा द्वारा दो मर्तबा सर्व सम्मति से क्रेशर वह गिट्टी खदान के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर बंद करने का निर्णय सुनाया था। बावजूद क्रेशर चल रहा है। मौजूदा प्रदेश की सरकार पेशा कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने की बात कही थी।अब ये जो कुछ हो रहा है उससे तो लगता है कि कथनी – करनी में स्पष्ट और पूरी तरह विरोधाभास है, स्थानीय विधायक व मंत्री का सह के बिना क्रेशर चालू हो ही नहीं सकता था। वैसे भी लखमाराम को कानून कायदे और आदिवासीयों के हितों से कोई वास्ता होता तो नहीं है। ताज्जुब होता है प्रशासन कानून के मुताबिक काम करने के लिए होता है, परंतु यहां गांव के आदिवासी लोग याद दिलाते-दिलाते परेशान हो चुके हैं, प्रशासन मानो आंख कान बंद करके मौन धारण कर लिया है। संविधान के मुताबिक अनुसूचित क्षेत्र कहने में अब शर्म लगने लगा है। प्रशासन लखमाराम वह मंत्री पुत्र के सामने नतमस्तक हो चुका है। अभी गांव के व आस पास के लोग सोचने लगे हैं कि जल्दी क्रेशर प्लांट के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर देंगे। ताकि प्रशासन के आंख कान खुले।
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