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मजबूरी में किसानः धान बेचना है तो अपना बारदाना देना पड़ रहा, क्योंकि पहलें ही देरी हो चुकी और अब रूकनें तैयार नहीं

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तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़ : समर्थन मूल्य पर धान खरीदी किसानों पर ही भारी पड़ रही है। क्योंकि अपना ही धान बेचनें के लिए उन्हें खुद का बारदाना देना पड़ रहा है। इसी षर्त पर ही सोसायटियों में धान बिक रहा है। बारदाना की कमी के हालात सभी केंद्रों में बनी हुई है। वहीं कई केंद्र ऐसे है जहां पर किसान चाह कर भी धान बेच नहीं पा रहे है। क्योंकि इन केंद्रों में परिवहन व्यवस्था ठप होनें से खरीदी बंद है। ऐसे में जब तक परिवहन तेजी से षुरू नहीं होगी तब तक खरीदी बंद रहेगी। ऐसे में किसानों की दोनों तरफ से मजबूरी है। धान बेचना है तो बारदाना देना पड़ रहा है। जबकि प्रत्येक बारदाना के पीछे किसानों को 25-30 रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन किसानों का कहना है कि यदि बारदाना के इंतजार में बैठे रहेंगे तो उपज को कब तक अपनें घरों में सुरक्षित रखें रहेंगे। दीपावली के पहलें ही मिंजाई षुरू हो गई थी और दो महीनें से पैदावार को घर पर ही रखें हुए है। यदि बारदाना के लिए और इंतजार करना पड़ेगा तो किसान समय रहतें धान नहीं बेच पाएंगे। दूसरी ओर राज्य स्तर पर बारदाना की नई सप्लाई आनें की संभावना फिलहाल नहीं है। कोरोनाकाल के चलतें जूट प्रोडक्षन पर असर पड़ा। इसलिए पष्चिम बंगाल में नए बारदाना समय रहतें तैयार नहीं हो सके। यहीं वजह है कि खरीदी षुरू होनें के बाद बारदाना कमी के चलतें बंद की नौबत आ रही है। खरीदी षुरू होनें से पहलें ही बारदाना कमी की आषंका जता दी गई थी। 15 दिनों बाद ही केंद्रों में बारदाना खत्म हो गया। जिस वजह से अब समितियों की परेषानी बढ़ रही है।
राषन दुकानों से खरीदनें के बाद भी नहीं बना सकें व्यवस्था- अक्टूबर व नवंबर में प्रषासन ने षासकीय उचित मूल्य की दुकानों से बारदाना एकत्रित कराया था ताकि खरीदी के दौरान परेषानियों ने निपट सके। इधर राज्य षासन ने नए बारदानों की पर्याप्त सप्लाई नहीं की। लेकिन राषन दुकानों से पुराना बारदाना खरीदनें के बाद भी खरीदी को सुचारू रूप से नहीं चला सके। हर दो दिन में किसी न किसी केंद्र में परिवहन में देरी व बारदाना कमी के चलतें बंद करना पड़ रहा है। टोकन जारी होनें के बावजूद किसान समय पर अपना धान नहीं बेच पा रहे है।
लिमिट से अधिक खरीदी हो चुकी केंद्रों में, इसके एवज में उठाव कम- डोंगरगढ़, लालबहादुर नगर व मोहारा बैंक के अधीन आनें वाली अधिकतर सोसायटिया में क्षमता से अधिक धान की खरीदी हो चुकी है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी समितियों की जवाबदेही बढ़ गई है। निर्धारित फेंसिंग के बावजूद आवक ऐसी आ रही है कि अतिरिक्त चौकीदार रखकर रखवाली करानी पड़ रहही है। लिमिट से अधिक खरीदी होनें के बावजूद इसके एवज में उठाव की गति काफी धीमी है। मिलर्स व मार्कफेड के षर्तो के बीच में समितियां पीस रही है। डोंगरगढ़ के 9 केंद्रों में 22 लाख दो हजार 248 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है।
उठाव की ऐसी है स्थिति, मार्कफेड ने पहलें दिन दो केंद्रों से ही किया उठाव- डोंगरगढ़ बैंक के पर्यवेक्षक रामकुमार यादव ने बताया कि 9 केंद्रों में मिलर्स ने 34 हजार 680 क्विंटल धान का उठाव किया है। जबकि मार्कफेड 3260 क्विंटल ही डिलीवरी की है। मार्कफेड ने ढ़ारा व बोरतलाव में पहलें दिन धान उठाया है। जबकि उठाव नहीं होनें से मेंढ़ा व ढ़ारा में खरीदी बंद चल रही है। जबकि अछोली, पनियाजोब, ठाकुरटोला व मुड़पार में भी उठाव कम होनें से दो दिनों में खरीदी बंद हो जाएगी। जिन केंद्रों में खरीदी जारी है, वहां पर किसान खुद के बारदानें में धान लेकर बेचनें पहुंच रहे है। इन केंद्रों में 63 हजार 375 बारदाना ही षेश बताया गया है।
डोंगरगढ़ पर्यवेक्षक रामकुमार यादव ने बताया कि दो केंद्रों में खरीदी बंद है। बारदाना की कमी बनी हुई है इसलिए किसानों के बारदानें में खरीदी की जा रही है। परिवहन में तेजी आनें से ही सभी केंद्रों में सुचारू संचालन होगा। लालबहादुर नगर के पर्यवेक्षक दुर्गा नागपुरे ने बताया कि महराजपुर में खरीदी बंद होने की संभावना है। जबकि अन्य केंद्रों में भी परिवहन रोजाना होगा तभी खरीदी नियमित हो पाएगी। उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
फोटो डीजीजी 01 सोसायटियों में हमालों को धान तौलनें के साथ लोडिंग भी करना पड़ रहा।

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