बालकृष्ण मिश्रा/ सुकमा : भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं भारत मौसम विज्ञान केन्द्र के द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रदेश में सामान्यतः दिसम्बर से जनवरी माह के बीच ठंड की व्यापकता और तीक्ष्णता कभी-कभी शीतलहर का रूप ले लेती है। नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में बसे निःसहाय, आवासहीन, गरीब, वृद्ध एवं स्कूल जाने वाले विद्यार्थी इत्यादि के ठंड से प्रभावित होने की संभावना रहती है। राज्य सरकार द्वारा शीतलहर से बचने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। राज्य में वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में सामान्य तापमान 10 डिग्री सेन्टीग्रेट से कम पाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में शीतलहर उत्पन्न होती है। राज्य में किसी जिले को शीतलहर एवं पाला से प्रभावित मानने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा निर्धारित तापमान आंकड़ों के आधार पर प्रभावित माना जाएगा। राज्य में शीतलहर एवं पाला की स्थिति में निःसहाय एवं आवासहीन जनसमुदाय को शीतलहर एवं पाला से बचाव के लिए रैन बसेरा, अस्थायी शरण स्थलों में ठहराने हेतु समुचित व्यवस्था करने के अलावा रात्रि रैन बसेरा, अस्थायी शरण स्थलों में पर्याप्त संख्या में कंबल रखने पर्याप्त मात्रा में अलाव की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। अलाव की व्यवस्था करते समय ये विशेष ध्यान रखने कहा गया है कि अलाव ऐसे स्थान पर जलाया जाये, जिससे आगजनी की घटना न हो। इसके साथ ही जिले में शीत प्रकोप से बचाव हेतु आवश्यक दवाओं का भंडारण एवं चिकित्सा सेवायें हेतु समुचित व्यवस्था करने, चिकित्सा दल गठित कर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने, शीत प्रकोप से रबी फसलों के बचाव हेतु कृषि विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक समुचित व्यवस्था करने को कहा गया है। राज्य शासन द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि शीतलहर के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने एवं अस्थायी रैनबसेरा में रखे गये व्यक्तियों की जानकारी निर्धारित प्रपत्रों में प्रतिदिन पूर्वान्ह 11 बजे तक राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग को फैक्स क्रमांक 0771-2510823 एवं ईमेल आईडी सीजीरिलिफ/जीमेल.कॉम पर उपलब्ध कराया जाये। मृत एवं पीड़ित परिवारों एवं प्रभावित कृषकों को राजस्व पुस्तक 6-4 में निहित प्रावधान अनुसार आर्थिक अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी।
शीतलहर के दौरान आवश्यक उपाय
शीतलहर से बचने के लिए जितना संभव हो घर के भीतर ही रहे और घर से बाहर निकलने पर गर्म कपड़ो का उपयोग किया जाए। इसके अलावा मौसम से संबंधित समाचार व आपातकाल के संबंध में जारी समाचारों को सुनने, वृद्ध व्यक्तियों का ध्यान रखने, आपातकाल में भी पॉवर सप्लाई जारी रहने वाले आवासों का उपयोग करने, शीत लहर से बचाव हेतु टोपी और मफलर का भी उपयोग, यदि केरोसिन व कोल के हीटर का उपयोग करते है तो गैस व धुएं के निकलने के लिए रोशनदान की व्यवस्था आदि की सलाह दी गई है। इस संबंध में यदि सर्दी से संबंधित कोई प्रभाव शरीर पर दिखाई देने पर (जैसे- नाक-कान लाल हो, पैर हाथ की उंगलियॉं आदि हो) तो तत्काल स्थानीय चिकित्सक से परामर्श लिया जाना चाहिए।