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महात्मा गांधी के साथ दीनदयाल व अम्बेडकर का मानव अधिकार अवधारणा में बड़ा योगदान-विवेक वासनिक

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  • अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
रवि मुदिराज/ राजनांदगांव। १० दिसम्बर २०२० को लायंस सेवा सदन के सभागार में विश्व मानवधिकार संरक्षण एवं एंटी करप्शन इंडिया व लायंस क्लब नांदगांव के तत्वावधान में मुख्य अतिथि विवेक वासनिक चेयरमेन, राजगामी संपदा राजनांदगांव, अशोक चौधरी प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश कबड्डी संघ छत्तीसगढ़ की अध्यक्षता, विशेष अतिथि डॉ. मिल्टन लाल वाईस चेयरमेन इंडियन चर्च ट्रस्टी, लायन प्रमोद बागड़ी जोन चेयरमेन, लायन इंटरनेशनल, डॉ. डी सी जैन अध्यक्ष शिवनाथ तट क्षेत्रीय समिति, सत्यप्रकाश भारती संभागाध्यक्ष मानव अधिकार संरक्षण एवं एन्टी करप्शन इंडिया, प्रोफेसर के.के. द्विवेदी की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। उक्त कार्यक्रम के शुभारम्भ में विशेष अतिथि श्री डी सी जैन ने कहा कि जिस भांति हम स्वाधीनता दिवस गणतंत्र दिवस संपूर्ण अधिकार प्राप्ति के साथ मनाते है। उसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार दिवस मनाकर लोगों में उत्साह व राष्ट्र के प्रति प्रेम व समर्पण तथा अनुशासन को प्रेरणा मिलती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अशोक चौधरी ने कहा कि महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय ने ही जीवनपर्यन्त मानवधिकार को कायम रखा। दीनदयाल उपाध्याय की भावनाओं को उजागर करते हुये कहा कि वह मात्र पचास रूपये में से दो रूपये घर खर्च के लिये रखकर शेष ४८ रूपये मानवधिकार सेवा में लगाया करते थे। ईश्वरचंद्र विद्याचंद्र सागर ने पुर्नविवाह तथा राजाराम मोहनराय ने सती प्रथा का विरोध करके पुर्नर्विवाह प्रथा को प्रचलन कर जारी कराया। यह मानव अधिकार के उस समय के प्रत्यक्ष उदाहरण है।
मुख्य अतिथि की आंसदी से राजगामी सम्पदा राजनांदगांव के चेयरमेन विवेक वासनिक ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संविधान-आज देश के सभी अधिकारों की जननी है और संविधान के अंतर्गत ही हमें अधिकार प्राप्त है। वर्ष १९९३ में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन हुआ है। डॉ. अम्बेडकर की मंशा थी कि रंगभेद, बच्चे बूढ़े महिलाऐं अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति को हक व अधिकार समान रूप से मिले। महात्मा गांधी, दीनदयाल उपाध्याय के बाद डॉ. भीमराव अम्बेेडकर की संविधान बनाने में योगदान उनकी महान उपलब्धि व मानवधिकार को पूर्णता प्रदान होती है। श्री वासनिक ने संविधान को अनुच्छेद १५ व २१ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था व भारतीय संविधान ही मानव अधिकार का सबसे बड़ा प्रमाण है। विशेष अतिथि प्रोफेसर के के द्विवेदी ने भारतीय इतिहास पर कई उदाहरणों सहित मानवधिकार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली के संविधान का खड़ा महत्व है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमानवीय अत्याचार हुए है उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। पूर्व में शासकों द्वारा मानव सम्मान व सभ्यता के विपरीत लोगों को प्रताडि़त किए गए। जिसके फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवधिकार के गठन की आवश्यकता पड़ी उन्होंने यह भी कहा कि अधिकार तो बहुत है लेकिन उसका दुरूपयोग नहीं होना चाहिए। कुछ लोग संगठित होकर अपराधिक मानसिकता से कार्य करते है और मानवधिकार का सहारा लेते है जो अनुचित है। इस अवसर पर विशेष अतिथि सत्य प्रकाश भारती के द्वारा पीडि़त व्यक्तियों को न्याय दिलाने हेतु न्याय पाने की स्वंतत्रता व अनुच्छेद १४ के विषय में किए गए कार्यो की सभा में सप्रमाण अवगत कराया गया और प्रशासन, पुलिस एवं अन्य से होने वाली परेशानी की जानकारी दी गई।
 विशेष अतिथि लायन प्रमोद बागड़ी ने कहा कि आर्थिक शोषण रोकने व स्वतंत्रता के लिए पीडि़त पक्ष के साथ आज खड़े होने की आवश्यकता है। इन दिनों मानवधिकार के फर्जी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की फर्जी समिति बनाकर राज्य के विभिन्न जिलों में फर्जी तरीके से कानून के मंशा के विपरीत कार्य किया जा रहा है। इसके लिये प्रशासन को भी जागरूक होना आवश्यक है। इस अवसर पर सत्यप्रकाश भारती, अमलेन्दु हाजरा एवं शशि देवांगन को सामाजिक क्षेत्र में सर्वहित की सोच के लिये उत्कृष्ठ सेवा पर मोमेन्टो प्रदान कर अतिथियों ने सम्मानित किया तथा तीनों द्वारा समय – समय पर समाज में किये गये कार्यो की सराहना की गई। कार्यक्रम संयोजन व संचालन अमलेन्दु हाजरा द्वारा किया गया। इस अवसर पर लायन आनंद वर्गीस, लायन सुभाष अग्रवाल, ला. अशोक कोटडिय़ा, महेश चिर्वतकर, कृष्ण कुमार सेानी, रविन्द्र मुदिराज, राहुल गौतम, ऐन कुमार साहू, कामिनी साहू, मंगल सिंह, सोनू परगनिहा, उमेश साहू, आशीष दत्ता, प्रतिमा वासनिक, संजय साहू, हनीफ खान आदि उपस्थित थे। उक्त जानकारी लायन्स क्लब के पी.आर.ओ. अशोक श्रीवास्तव ने दी।
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