(भिलाई ब्यूरो ) तापस सन्याल | संगीत महाविद्यालय संघ के संगठन महामंत्री जॅम्मी वेंकट जी ने कहा कि मान्यता प्राप्त संगीत महाविद्यालय वैश्विक महामारी कोविड-19के कारण विगत दस माह से पूर्णत: बंद है और विद्यार्थी अभी संगीत नहीं सीख रहे हैं ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन इन महाविद्यालयों से निरंतरता शुल्क की मांग कर रहा है। यही नहीं विद्यार्थियों से 10 फ़ीसदी बड़े हुए दर पर परीक्षा फार्म भरवा कर भिजवाने के निर्देश भी विश्व विद्यालय द्वारा महाविद्यालयों को दिए हैं। जबकि छत्तीसगढ़ शासन ने 28 नवंबर को हुई कैबिनेट स्तरीय बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार विश्वविद्यालय 10 दिसंबर एवं महाविद्यालय 15 दिसंबर 2020 तक खोलने का प्रस्ताव रखा हैl फिलहाल अभी सभी महाविद्यालय बंद है ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों से परीक्षा फार्म भरवाना और निरंतरता शुल्क लेना समझ के बाहर की बात है छत्तीसगढ़ शासन ने शिक्षण संस्थाओं को मात्र ट्यूशन शुल्क लेने की अनुमति दी है परंतु वर्तमान में किसी भी महाविद्यालयों में मासिक ट्यूशन फ़ीस 30 से 40 % पालको ही द्वारा जमा किया गया है।ऐसी परिस्थिति में महाविद्यालय अपने गुरुओं की तंख्वाह नहीं दे पा रहे हैं l लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना किसी विचार विमर्श के 10 फ़ीसदी बड़े हुए परीक्षा फीस के साथ परीक्षा फार्म भरवाने के लिए आदेश जारी किये गए है। श्री जम्मी वेंकट जी ने कहा विश्वविद्यालय प्रशासन के इसी तुगलकी निर्णय की ओर संगीत महाविद्यालय संघ ध्यान आकर्षण करने में लगा हुआ है संघ के पदाधिकारी एवं सदस्य पूरे देश में है और वे कुलधपति एवं राज्यपाल महामहिम सुश्री अनुसुइया उइके कुलपति मोक्षदा ममता चंद्राकर छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल , उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल सहित देश के समस्त जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर दिला कर उचित पहल करने का तथा मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध कर रहे हैं। संघ के राष्ट्रीय सचिव हजारा ने बताया कि विश्व विद्यालय लगातार 10 फीसदी परीक्षा शुल्क हर साल बढ़ाता जा रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि आज भी संगीत विद्या दूसरे स्थान पर है। देश के कोने कोने में फैले संगीत महाविद्यालय की बदौलत आज हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की साख पूरे देश में है और नई पीढी का लोक एवं शास्त्रीय संगीत के प्रति रुचि बड़ी हैं। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे ही शुल्क बढ़ाता रहा तो आने वाले समय में संगीत के विद्यार्थी खासकर गरीब तबके के विद्यार्थी महाविद्यालय परिषद से दूरी बनाने लगेंगे इसलिए समय रहते इस शुल्क के बढ़ते क्रम पर रोक लगाना आवश्यक है।
कोविद काल में संगीत विश्व विद्यालय के असहयोगात्मक रवैये से प्रदेश के महाविद्यालयों में निराशा का माहौल l
