- एम्स में सोसाइटी ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय 52वीं वार्षिक कांफ्रेंस का उद्घाटन
- दुनियाभर के 750 से अधिक विशेषज्ञ और प्रतिनिधि हाइब्रिड कांफ्रेंस में भाग ले रहे
- कैंसर के इलाज की विभिन्न विधियों और इसमें इमेजिंग के प्रयोग पर चर्चा
रायपुर : दुनियाभर के न्यूक्लियर मेडिसिन विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नई तकनीक और इमेजिंग का अधिक से अधिक मात्रा में उपयोग किया जाए तो कैंसर का सटीक इलाज संभव है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में आयोजित सोसाइटी ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय 52वीं वार्षिक कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने इस संबंध में एकमतता व्यक्त की। इसके साथ ही टोटल बॉडी पीईटी और सीटी एवं रेडियोमॉलीक्यूलर प्रीसिजन आंकोलॉजी को कैंसर के इलाज की अत्याधुनिक तकनीक बताते हुए चिकित्सकों से इसका अधिक से अधिक लाभ लेने का आह्वान किया गया।कांफ्रेंस का उद्घाटन करते हुए एसएनएमआई के अध्यक्ष प्रो. बलजिंदर सिंह ने नई तकनीक के कैंसर के इलाज में महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कैंसर प्रबंधन के लिए नवीन प्रक्रियाओं को अपनाने का आह्वान किया। एम्स रायपुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि कांफ्रेंस की मदद से दुनियाभर के न्यूक्लियर मेडिसिन के चिकित्सकों को अपने विचार और अनुभव साझा करने का मौका मिला है। कैंसर के बढ़ते रोगियों की संख्या को देखते हुए नई तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा।इससे पूर्व डीन प्रो. एस.पी. धनेरिया और विभागाध्यक्ष प्रो. करन पीपरे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ. मुदालशा रवीना ने बताया कि कांफ्रेंस में दुनियाभर से 750 चिकित्सक, विशेषज्ञ और तकनीकी कर्मचारी भाग ले रहे हैं। इसमें 20 अंतर्राष्ट्रीय और 20 राष्ट्रीय विशेषज्ञ तीन दिनों तक विभिन्न साइंटिफिक सेशन में अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इनमें प्रो. राकेश कुमार, प्रो. चेतन डी. पटेल, प्रो. संजय गंभीर, प्रो. रिचर्ड बॉम, डॉ. ग्रे ए. उलेनर फंटी शामिल हैं।सोसाइटी का गठन 1967 में भारतीय न्यूक्लियर मेडिसिन विशेषज्ञों को नई तकनीक की जानकारी देने और एक-दूसरे के अनुभव साझा करने के लिए किया गया था। वार्षिक कांफ्रेंस के माध्यम से सोसाइटी दुनियाभर के विशेषज्ञों से विचारों का आदान-प्रदान करती है।