दिल्ली: प्रदूषण की समस्या से जूझ रही देश की राजधानी दिल्ली की मुश्किलें पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा (Punjab and Haryana) ने बढ़ा दी हैं. दोनों राज्यों में धान की फसल के बाद खेतों में बची पराली जलाने (Stubble Burning) के लिए लगाई जा रही आग के कारण दिल्ली की हवा और खराब होती जा रही है. हरियाणा और पंजाब के अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के 2.5 पीएम प्रदूषण में 10 प्रतिषत हिस्सा धान की नरवाई में लगी आग से उठे धुएं का है.
तापमान कम होने की वजह से जहरीली हो रही है हवा
हवा की दिशा में मामूली बदलाव भी धान के खेतों से निकलने वाले धुएं को चलाने में मददगार हो सकती है. ऐसे में हवा की रफ्तार का कम होने और तापमान गिरने से हालात और गंभीर हो जाते हैं. क्योंकि इससे प्रदूषण फैलाने वाले तत्व दिल्ली-एनसीआर और गंगा के मैदानी इलाकों की तरफ बढ़ रहा धुआं हवा को और जहरीला बना देता है.
सितंबर में कम बारिश के कारण किसानों ने जल्दी काटी फसल
पंजाब के अधिकारियों के मुताबिक, सितंबर में हुई बेहद कम बारिश की वजह से किसानों ने चावल के गैर-बासमती किस्म की कटाई जल्दी कर ली, ताकि वे सब्जियां उगाने के लिए खेत तैयार कर सकें. अधिकारियों ने कहा, ‘इसके अलावा कटाई का एक कारण यह भी रहा कि 2019 की तुलना में बाजार में चावल की दोगुनी मात्रा पहले ही पहुंच चुकी थी.’पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पीपीसीबी) के सदस्य सचिव करुणेश गर्ग कहते हैं, ‘सितंबर में बहुत ही कम बारिश हुई, जिसकी वजह से चावल के गैर बासमती किस्म की कटाई के लिए अमृतसर और तारण तरण में अच्छा मौसम तैयार हो गया. कई किसानों ने गेहूं की बुवाई से पहले सब्जियां उगाने के लिए खेतों को साफ कर लिया था.’ उन्होंने कहा ‘हमने धान की पराली जलाने को लेकर 1,002 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया और 26.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.’
पंजाब और हरियाणा में क्या हैं हालात
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरियाणा राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (एचएसपीसीबी)) ने कहा कि सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि 16 सितंबर से 17 अक्टूबर के बीच पंजाब में 5,552 आग के मामले दर्ज किए गए. जबकि, हरियाणा में यह आंकड़ा 2,276 है. आमतौर में खेत में आग के मामले अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में नजर आते हैं, जो नवंबर के शुरुआती दो हफ्तों में चरम पर होते हैं.सैटेलाइट इमेज की मदद से मिले आंकड़ों के अनुसार, आग के मामले पंजाब के तारण तरण में 1361 और अमृतसर में 1435 थे. इन दोनों जिलों में आग सबसे ज्यादा गंभीर रही. जबकि, पटियाला, फिरोजपुर और गुरदासपुर में आग से काफी ज्यादा मामले सामने आए. पीपीसीबी के अधिकारी बताते हैं कि बीते साल के मुकाबले पंजाब में आग ज्यादा लगाई गई और कटाई की जल्दी शुरुआत होना इसका एक कारण है.हरियाणा में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल और अंबाला में 2,678 मामले दर्ज किए. एसएसपीसीबी के सदस्य सचिव एस नारायणन ने कहा, ‘इस साल हरियाणा में कटाई 7 से 10 दिन पहले ही शुरू हो गई थी. 2019 के मुकाबले आग के मामले इस साल ज्यादा हैं और हम आने वाले दिनों और हफ्तों में कृषि विभाग और जिला प्रशासन के साथ मिलकर राज्य के पश्चिमी हिस्से पर नजर रखने जा रहे हैं.’ अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि राज्य के पश्चिमी हिस्से सिरसा, फतेहाबाद, हिसार और भिवानी में आग के मामले बढ़ने की आशंका है.
21 और 22 अक्टूबर को बिगड़ सकती है हवा की स्थिति
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी और सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च)ने कहा कि बीते सप्ताहांत और सोमवार को हवा की रफ्तार में हुए इजाफे की वजह से दिल्ली में हवा कुछ बेहतर हुई थी.सफर का अनुमान बताता है, ’21 से पहले सतह की हवा में बदलाव का अनुमान लगाया गया है, जिसकी वजह से सतह की हवा शांत होगी. इसकी वजह से वेंटिलेशन इंडेक्स कम होगा और एयर क्वालिटी इंडेक्स (air quality index) बिगडे़गा. अनुमान लगाया गया है कि 21 और 22 अक्टूबर को हवा की स्थिति बेहद खराब होगी. पंजाब और हरियाणा में संयुक्त रूप से खेतों में आग की संख्या 1090 है.’