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8 लोगों को शिकार बना चुके बाघ को पकड़ने की कोशिश, रातभर पिंजरे में बैठे रहते हैं वनकर्मी

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मुंबई : महाराष्ट्र के वन विभाग ने एक बेहद खतरनाक नर बाघ RT1 को पकड़ने के लिए अनोखा अभियान चलाया है। माना जा रहा है कि जनवरी 2019 से अब तक यह बाघ 8 लोगों को अपना निवाला बना चुका है। राज्य के चंद्रपुर में (सेंट्रल चंद्र फोरेस्ट डिविजन) के राजुरा में बाघ को पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया है। इसके लिए वन विभाग के कर्मचारी एक पुल के नीचे बने ट्रैपिंग एरिया के नजदीक एक पिंजरे में तैनात हैं। बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे में एक बछड़े को निवाले के रूप में छोड़ा गया है। राजुरा जंगल के कंपार्टमेंट नंबर 170 में पत्तियों से ढंके एक ट्रैपिंग एरिया के पास कर्मचारी पिंजरे में छिपे हुए हैं। छोटे पिंचड़े पुल से 40 मीटर की दूरी पर हैं। कर्मचारी मुख्य पिंजरे के स्टील गेट से बंधी रस्सी को पकड़े हुए हैं जिसका उपयोग बाघ को फंसाने के लिए किया जाएगा। प्लान के मुताबिक जैसे ही बाघ बछड़े को खाने के लिए पिंजरे में घुसेगा, नजदीक के पिंजरे में बैठे कर्मचारी रस्सी खींच देंगे और इससे गेट बंद हो जाएगा। इसके बाद बाघ को बेहोश करके यहां से ले जाया जाएगा। राजुरा रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर (RFO) की ओर से लेटर जारी होने के बाद बाघ को पकड़ने के लिए अपनाए गए तरीके को लेकर विवाद छिड़ गया। अधिकारी ने कहा है कि वन विभाग के कर्मचारी 11 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक पिंजरे में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक बैठे रहेंगे। चंद्रपुर के चीफ कंजरवेटर एनआर प्रवीण ने यह सफाई देते हुए कहा है कि इंसानों को चारे के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ”पिंजरे का इस्तेमाल स्टाफ की सुरक्षा के लिए किया गया है, ना कि उनका चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रणनीति इसलिए अपनाई गई है क्योंकि टाइगर के पास जाना मुश्किल है। शनिवार को नागरपुर के फॉरेस्ट गार्ड एंड फॉरेस्टर असोसिएशन ने राजुरा आरएफओ के लेटर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की गाइडलाइंस का उल्लंघन है, क्योंकि बाघ को पकड़ने का कोई भी ऑपरेशन दिन में ही चलाए जाने की उम्मीद की जाती है। टाइमिंग में बदलाव किया जाए और वन्यकर्मियों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।

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