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विशेष खबर : अडानी की रूचि और सिंहदेव के विरोध के मायने

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  • केबिनेट में समर्थन बाहर विरोध
  • संदर्भ- कोल ब्लॉक आबंटन।

रायपुर। अंबिकापुर इलाके का कोल ब्लाक देश के बहुमूल्य खनिज संपदा मानी जाती है जिसे कब्जाने को लेकर बड़े उद्योगपतियों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने के संकेत है इसका शिकार प्रदेश कांग्रेस सरकार हो रही है, दरअसल अंबिकापुर इलाके की कोल ब्लाक देश में तेजी से पाव पसार रहे अडानी ग्रुप का कब्जा हो गया हैै। इस ग्रुप को इस इलाके के खनिज संपदा से भारी मुनाफा हो रहा है, यह ग्रुप तीन और कोल ब्लाक में कब्जा जमाने का प्लान तैयार कर काम करना शुरू कर दिया है पंचायत मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव अपने इलाके में और कोल ब्लाक देेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है जनता के विरोध में साथ खड़े होने से उनकी ही सरकार दुविधा में पड़ गई है तमाम नियम-कानून, लाभ-हानि के गणित लगाये जा रहे हैं। विरोध के बाद भी अडानी गु्रप की मंशा अनुरूप पर्यावरण व खनिज विभाग की सहमति मिल जाने की अटकले लग रही है। लेकिन राज्य सरकार का रूख क्या होगा इसका सबको इंतजार है। अडानी ग्रुप को भाजपा का करीबी माना जाता है। जबकि छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अडानी के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं ऐसी स्थिति में भूपेश सरकार का रूख क्या होगा? राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री टी. एस. सिंहदेव (बाबा) ने इलाके के ग्रामीण विरोध कर रहे है इसलिए ग्रामीणों के साथ अचानक विरोध में उतर गये हैं। ग्रामीणों के विरोध में स्वर बाबा के मिलाने से कई लोग सकते में है। बताया जाता है कि केबिनेट की बैठक में श्री टी.एस. सिंहदेव (बाबा) ने इस मुद्दे पर लंबी चर्चा के बाद तमाम मुद्दों पर समर्थन किया था केबिनेट में विस्तार से चर्चा के बाद पंचायत मंत्री ने कई मुद्दों में सुधार की सिफारिस की थी जिसे राज्य सरकार ने मान भी लिया था और कुछ दिनों बाद बाहर में विरोध के स्वर तेज करने के कई मामले निकाले जा रहे हैं। कोल ब्लाक को लेकर दिल्ली तक कई नियम-कानून और समीकरण बदलने से राजनीतिक उठापटक तेज हो सकती है।
आम जनता से जुड़ी समस्याओं को उठाने से क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों की जड़े मजबूत होती है। कई बार मुद्दे उठाने के पीछे भी राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन किया जाता है। यही इस मामले में भी होता दिख रहा है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में अडानी के कई बड़े काम चल रहे हैं कई बीमार उद्योगों को अधिग्रहण किया है। इन तमाम मुद्दों पर राज्य सरकार की जरूरत ज्यादा पड़ेगी।

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