(बीजापुर ब्यूरो)-: नगरीय क्षेत्रों में शासकीय ज़मीनों के विक्रय व पांचवीं अनुसूची का पालन न करने को लेकर आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने नाराजगी जाहिर की है।
आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर बीजापुर स्थित गोंडवाना भवन में आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने परिचर्चा आयोजित कर राज्यपाल, राष्ट्रपति व प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा ।समाज प्रमुखों की चर्चा में नजूल भूमि को शुल्क दे कर पट्टा आबंटित करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244(1) पाँचवी अनुसूची के उलंघन पर नाराजगी जाहिर की है। साथ ही श्रीराम पथगमन के नाम पर बस्तर के सांस्कृतिक सामाजिक ऐतेहासिक एवमं रूढ़ि प्रथा परम्परा पर सीधा हमला बताया। रावघाट व परियोजना को बिना भूतलक्षी प्रभाव का सर्वे किये बिना कार्य शुरू कर दिया गया है जो संविधान सम्मत नही है। बस्तर विश्व विद्यालय का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर होने से बस्तर की पहचान, इतिहास और संस्कृति का बोध का परिचय विलुप्त होने का खतरा बताया। जेल में बंद सैकड़ों निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने व बस्तर में आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना व अल्प वर्षा के कारण क्षेत्र को सूखा ग्रस्त इलाका घोषित किये जाने की मांग पर चर्चा की गई। शंकर कुड़ियाम, नीना रावतिया उद्दे, लक्ष्मी नारायण गोटा, लालू राठौर, कामेश्वर दुब्बा, हरिकृष्ण कोरसा, गुज्ज़ा पवार, बी एल पदमाकर, डॉ बी आर पुजारी, डॉ अरुण सकनी, मंगल राना, राधिका तेलम, कमलेश कारम, सोनू पोट्टम, कमलेश पैंकरा, दसरथ कश्यप, राकेश गिरी, आदिनारायण पुजारी, पोचे राम भगत, अमित कोरसा, सुशील हेमला विनय उइके मौजूद थे।