गरियाबंद ( पुलस्त शर्मा ) :- गरियाबंद गोंडी धर्म संस्कृति सरंक्षण समिति एवं छत्तीसगढ़ गोंड़वाना संघ द्वारा प्रकृति एवं संस्कृति के सरंक्षण हेतु सावन पूर्णिमा के महान पर्व में भोजली महोत्सव गरियाबंद, मैनपुर, छुरा, फिंगेश्वर मे धूमधाम के साथ मनाया गया। यह भोजली महोत्सव को आदिवासी मूलनिवासी समाज कई सदियों से मनाते आ रहे थे जो कि धीरे धीरे यह संस्कृति को आज की यह चका चैंध दुनिया में जहां भूलते जा रहे थे तो वही यह संघ संगठन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर गोंड़वाना भवन टिकरापारा में पिछले 9 वर्षों से गोंड़वाना गुरुदेव गुरुमाता के सानिध्य में मनाते आ रहे है इस वर्ष भी यह कार्य वृहद रूप से गोंड़वाना भवन रायपुर में आयोजित होने वाला था अपितु कोरोना महामारी में यह कार्यक्रम को अपने अपने स्तर पर ब्लॉक गांव गांव में सोशल डिस्टेंस और मास्क पहनकर मनाया गया यह कार्यक्रम को मनाये जाने का उद्देश्य व्यक्ति से परिवार और परिवार से समाज का निर्माण होता है और हर समाज की अपनी अपनी रिति नीति परम्परा और संस्कृति ही समाज की पहचान होती है वही धर्म पिता तुल्य भाषा माता तुल्य के साथ संस्कृति और कला गोंड समाज की विशिष्ट पहचान है इसी गोंडी धर्म संस्कृति को अक्षुण्य बनाये रखने भय भ्रम को मिटाने तथा नेग जोग रूढ़ि संस्कृति परम्परा को सरंक्षित करने हेतु गोंड़वाना गुरुदेव परमश्रद्धेय दुर्गेभगत जगत जी एवं करुणामयी माता दुर्गे दुलेश्वरी के आशीर्वाद से प्रति वर्ष सावन पूर्णिमा में यह पावन पर्व राष्ट्रीय स्तर पर मनाते आ रहे है इस कार्यक्रम से समाज मे एकता और संस्कृति सरंक्षण हो रहा है जिससे समाज मे हर्ष है। यह कार्यक्रम की जानकारी जिला अध्यक्ष दुष्यंत कुमार धुर्वा, नोकचन्द छैदहा, दयाराम मांझी, केशरी नागेश, लालेंद्र कोमर्रा, परमानंद ध्रुव, रूपेंद्र ध्रुव, हेमराज मांझी, डोमार मरकाम, थानसिंह सोम, जागेश्वर ध्रुव, द्वारिका ध्रुव समस्त पंडा पुजारी एवं सक्रिय सदस्यों द्वारा दी गयी।
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