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कोरोना काल ने आर्थिक बाजारीकरण की पोल खोल दी सरकार अपनी योजनाओं की पुन: समीक्षा करें- बेहार

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म.प्र. के पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद्र बेहार ने कहा कि कोरोना के संक्रमण काल के बाद सभी सरकारों को अपनी नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए। ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है, जिससे गांवों का पलायन रूके। बाजार, शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था ग्रामीण इलाकों में तैयार हो। आत्मनिर्भरता के पंच लाइन पर काम करना होगा। पांच प्रतिशत लोगों के लिए तैयार की गई नीतियों से सामाजिक असमानता व आक्रोश उभरेगा। कोरोना काल में आर्थिक नीतियों की बाजारीकरण व पूंजीवाद की पोल खोल दी है।
दैनिक छत्तीसगढ़ वॉच एवं खबर चालीसा के स्थापना दिवस के अवसर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था  और रोजगार के विषय पर वेबीनार के माध्यम से संगोष्ठी आयोजित की गई थी। इसमें प्रदेश भर के बुद्धिजीवी ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े विशेषज्ञ छत्तीसगढ़ वॉच के प्रतिनिधि अर्थशास्त्री सहित समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर के मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए शरदचंद्र बेहार ने हमारी पुरानी भारतीय अर्थव्यवस्था हमारे परंपरा और समाजिक सरोकार से जुड़े ताने-बाने को बड़े ही विस्तार तरीके से उसकी अच्छाईयों और उत्पन्न बुराईयों की जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय कितना है और इसमें इस तरह बढ़ोत्तरी हो सकती है इस दिशा में काम करने की जरूरतें हैं। राजनीतिक दल जीडीपी के जरिए विकास का पैमाना बताते हैं उसमें कई विरोधाभास है, और एक तरह से सच्चाई से परे है।

उन्होंने कहा कि गांधी जी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करने के नारे तो सरकारें बहुत लगाती है, परंतु योजनाएं उनके हक में बनती दिखती नहीं है। मनरेगा, कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री सड़क योजना से भारत के ग्रामीण व्यवस्था मजबूत हुई है, लोगों को रोजगार मिला है, समस्याएं हल होने की दिशा में काम हुई है। इसी तरह की योजनाएं बनाने की जरूरतें हैं। पांच प्रतिशत उद्योगपति, व्यापारी और बड़े लोगों को लाभ देने के लिए योजनाएं बनाई गई तो कोरोना काल जैसे संकट के समय सब कुछ छिन्न भिन्न हो जाएगा। शहरों में रहने वाले लोग ग्रामीणों के भरोसे रहते हैं और ग्रामीण रोजगार के लिए शहर दर शहर भटकते हैं। लेकिन उन ग्रामीणों का जिस तरह से विकास होना चाहिए वह नहीं हो पाता।  पूर्व आईएएस शरदचंद्र बेहार ने कहा कि विकास का मॉडल समाज के शोषित श्रमिकों के हितों को देखते हुए तैयार होना चाहिए। श्रम बैंक बनाने जैसी व्यवस्था तैयार करनी चाहिए। जिसमें शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों की चुनिंदा समस्याओं को एकजाई कर उसके हल की दिशा में ठोस कदम उठाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि किसानों को धान का वाजिब मूल्य देने नरवा, घुरवा, गरवा, बाड़ी योजना लागू करने, गोबर खरीदने जैसे निर्णय से किसानों, ग्रामीणों को आत्मनिर्भर स्वावलंबी बनाया जा सकता है।
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