कोरबा ।(गेंदलाल शुक्ला ) छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों की लगातार हो रही अकाल मौत को लेकर जांच के लिए देश की राजधानी दिल्ली से विशेषज्ञों की एक टीम का सोमवार को कोरबा आगमन हुआ। टीम के सदस्यों ने आज शाम कोरबा वन मंडल के कुदमुरा रेंज में कटरा डेरा गांव पहुंचकर गंभीर रूप से बीमार अर्ध वयस्क जंगली हाथी के संबंध में आवश्यक जानकारी जुटाई और उसके उपचार के संबंध में चिकित्सकों से चर्चा की।
जिले के कोरबा वन मण्डल के कुदमुरा रेंज में बीमार अर्ध्यवयस्क जंगली हाथी की जान अभी भी खतरे की जद में हैं। चिंता की बात यह है कि हाथी अभी भी स्वयं आहार ग्रहण करने में असमर्थ है। वह जब तक खुद खाना नहीं खाता तब तक उसकी जान को खतरा बना रहेगा।
जानकारी के अनुसार सोमवार 22 जून को कोरबा से टेक्नीशियन नवीन मसीह न्यू कोरबा हॉस्पिटल से पोर्टेबल एक्स रे मशीन के द्वारा हाथी के सामने के बायां पैर का और गला का एक्स रे समय 11:30 को लिया गया है। हाथी के बायाँ पैर का एक्स रे लेने के लिए उसके बायाँ पैर को ऊपर उठाया गया और एक्स रे x ray प्लेट को उसके नीचे रख ऊपर से एक्स रे मशीन से फ़िल्म लिया गया। गला के एक्स रे के लिए हाथी के सर तरफ और शरीर तरफ बोरे की मदद से गले के नीचे जगह बना कर एक्स रे प्लेट को रख कर फ़िल्म लिया गया। 1600 किलो ग्राम के हाथी के एक्स रे लेने के लिए काफी मसक्कत करना पड़ा।

याद रहे कि पिछले 8 दिनों से एक ही स्थिति में सोये रहने से हाथी की त्वचा कमजोर हो रही है जहाँ जहाँ पर हाथी के स्वयं का भार पड़ रहा है। हाथी के मुँह में छाले ( स्ट्रोमीटिस ) हो गए है जिसके कारण वह गन्ना को केवल चूस कर फाइबर को उगल दे रहा है और स्ट्रोमीटिस के कारण निगलने में समस्या हो रही है इसलिए बहुत धीरे धीरे भोजन खा रहा है। स्ट्रोमाइटिस के इलाज़ के लिए दवाइयों के अलावा ग्लिसरीन और हल्दी का पेस्ट और शहद का लैप लगाया जा रहा है। गन्ना और कटहल खाने से हाथी द्वारा एक हफ्ते पहले खाये तेंदू के बीज फाइबर के साथ अभी भी गोबर में निकल रहे है और गोबर में अब राउंड वर्म्स के नामो निशान नही है। परंतु इतने बड़े हाथी के स्वस्थ होने के लिए हाथी का खड़ा होना और अपने शरीर के हिसाब से स्वयं से खाना खाना बहुत जरूरी हो गया है। इतने बड़े पशु का इतने लंबे समय से सोया हुए रहना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।