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नगर में गांजे की अवैध बिक्री पुलिस की नकेल नहीं, कारोबारियों के हौसले बुलंद

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नवागढ़/ संजय माहिलांग

शहर में स्मैक का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है, शहर सहित गांव की गलियों में बिक रही नशीली वस्तुएं युवाओं की जिंदगी तबाह कर रही हैं। स्थिति यह है कि नगर में जगह-जगह खुलेआम स्मैक की बिक्री हो रही है। गली मोहल्लों में गांजा और चरस आसानी से मुहैया हो रहा है। लेकिन प्रशासन बेखबर है। नगर में चल रहे इस अवैध कारोबार की हकीकत जानने के लिए जब तहकीकात की तो पता चला की शहर में जगह-जगह गांजा बेची जा रही हैं।

नहीं हुई कभी कार्रवाई

बीते एक साल से एक भी नशे के कारोबारियों पर प्रशासनिक चाबुक नही चला हैं। बता दें कि शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कई वर्षों से गांजे का अवैध कारोबार खुलेआम हो रहा हैं। गांव-गांव तक फैला यह व्यापार तेजी से लोगों के बीच नशा बांट रहा हैं। इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए नारकोटिक्स एक्ट बनाया गया है, लेकिन पुलिस व आबकारी विभाग गांजे की बिक्री पर अंकुश नहीं लगा पा रहा हैं।

जहां मौका मिला चढ़ा लेते हैं

अक्सर देखा जाता है कि नशे के आदि व्यक्ति कहीं भी चिलम सुलगाने लगते है। चाहे वह सार्वजनिक स्थान हो या फिर खुला मैदान, इतना ही नही इस तरह का नशा करने वाले लोग सड़क के किनारे भी बैठ कर चिलम चढ़ाने लगते हैं। जानकारी के अनुसार गांजे और चरस का कारोबार रसुखदार और इन नशे को अधिकतर युवा एवं छोटे तबके के लोग कर रहे हैं।

इन जगहों पर हो रही खुलेआम बिक्री
शहर में अवैध रूप से बिक रहे गांजे और चरस लोगों को जगह-जगह मुहैया कराई जा रही है। यहां शहर में तालाब के पास लक्ष्मी नारायण मंदिर,स्कूल मैदान,सहित चुनिंदा गलियों में आसानी से खुलेआम गांजा बेची जा रही हैं। लेकिन इसकी जानकारी सिर्फ आबकारी और पुलिस प्रशासन को नहीं है।

लाखों का होता हैं कारोबार
पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने से बेखौफ कारोबारी नशे के नाम पर मौत के सामान को खुले तौर से बांट रहे हैं। जब शहर में पुलिसिया कार्रवाई की यह स्थिति है तो गांवों में क्या होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। लाखों का कारोबार सुनने में ज्यादा भले लगे, लेकिन यह हकीकत है कि शहर सहित ग्रामीण इलाकों में प्रति माह लगभग 3 लाख से अधिक के गांजा का कारोबार हो रहा हैं। नशा कारोबारियों की मानें तो रोजाना लगभग 8 से 10 हजार का गांजा बिक रहा है। इतनी बिक्री का एकमात्र कारण यह है कि यह कारोबार या तो पुलिस के संरक्षण में फल-फूल रहा है, या फिर पुलिस को इसकी जानकारी नहीं हैं

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