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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जागरूकता शिविर का आयोजन

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कस्तुरबा आवासीय विद्यालय में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
जब गरजती है नारी तो इतिहास बदल देती है:- शमीम कुरैशी
अफताब आलम/ लरामपुर / जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण  सिराजुद्दीन कुरैशी के निर्देशन में शासकीय कस्तुरबा आवासीय विद्यालय रामानुजगज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम  शमीन कुरैशी की मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में  शाहना कुरैशी, श्रीमती आकांक्षा सोनवानी,  राखी चंद्राकर एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती रेशमा बैरागी उपस्थित थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती वंदना के साथ आरंभ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि  शमीम कुरैशी ने उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बेटी वह कली है जो घर को स्वर्ग बनाती है। आज हर बेटी अपने परिवार और समाज को जिस तरह ध्यान रखती है, उस जज्बे को सलाम है। उन्होंने कहा कि ’जब गरजती हैं नारी तो इतिहास बदल देती हैं।’
श्रीमती शाहना कुरैशी ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत समेत पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिए दुनिया भर में इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन दुनिया के बहुत से देशों में महिला उपलब्धि को सराहा जाता है। उन्होंने उपस्थित छात्राओं को कहा कि आप सब चमकते हुए सितारे हैं, आप लोगों पर पूरा समाज टिका हुआ है, अतः आप सभी छात्राओं को स्वावलम्बी बनना जरूरी है। महिलाओं की खासियत यह है कि वे किसी भी चीज को चुनौतियों के रूप में लेती हैं। वे परेशानियों से डरती नहीं हैं, लेकिन कुछ नकारात्मक व्यक्तियों एवं समाज के कारण वे हिम्मत हार जाती हैं। वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति को एक महिला की शक्ति को पहचानने की जरूरत है तथा उसे हर क्षेत्र में सम्मान के साथ मौका देने की जरूरत है। महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए।
श्रीमती आकांक्षा सोनवानी ने कहा कि एक विद्यार्थी के पांच गुण होते हैं अल्पहारी, गृहत्यागी, काकचेष्टा, बकोेध्यानम् तथा श्वान्निंद्रा। एक आदर्श विद्यार्थी में ये सभी गुण विद्यमान होना चाहिए क्योंकि बिना इन गुणों के कोई भी विद्यार्थी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता। विद्यार्थी जीवन ज्ञान प्राप्ति का समय है उसे ज्ञान प्राप्त करने के लिए काक की तरह चेष्टा रखने वाला, बगुले की तरह ध्यान लगाने वाला गृहत्यागी और अल्पाहारी आदि नियमों का पालन करना चाहिए। इस समय आलस्य त्यागकर मानसिक एवं शारीरिक परिश्रम करना चाहिए। परिश्रमशील छात्र का जीवन ही सदा सुखमय रहता है। विद्यार्थी ही राष्ट्र के विधाता है। श्रीमती रात्री चंद्राकर जी ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में संघर्ष और आत्मविश्वास दो ऐसे हथियार है जिससे विद्यार्थी अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
श्रीमती रेशमा बैरागी ने कहा कि शिक्षा से जीवन की हर उपलब्धि हासिल की जा सकती है। अतः आज उपस्थित सभी छात्राऐं प्रण करें कि हमें अपने जीवन में कुछ न कुछ करना ही है। हम शिक्षा के माध्यम से अपने सपने और लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। शासकीय कस्तुरबा आवासीय विद्यालय की छात्राओं के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर अपनी अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया गया।

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