प्रांतीय वॉच

पंडरिया तहसील के अधिकांश पशु चिकित्सालय चपरासियो के भरोसे.. 

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पदम राज टंडन / पंडरिया।  कहने को तो सरकारें पशुओं के जान माल की सुरक्षा एवं पशुओं के लिये बहुत सारी योजनाए बनाती हैं उनका जोर सोर से प्रचार भी करती है जैसे सबसे बडे पशुओं के हितैषी और गोरक्षक वही हैं मगर पुरे छत्तीसगढ़ मे सबसे बड़े विधान सभा एवं तहसील पंडरिया का हाल सबसे बदतर स्थिति मे है… पुरे पंडरिया तहसील मे कहने को तो 9 पशु चिकित्सालय है और उनकी स्थापना के लिये उनकी बिल्डिन्ग निर्माण के लिये करोड़ो खर्च भी किये गये है मगर उनकी व्यवस्था और पशुओं के इलाज के लिये डाक्टरो और कर्मचारियों की व्यवस्था शूञ्य मे है और ज्यादातर पशु चिकित्सालयो मे पशुओं के इलाज कही चपरासी के भरोसे है तो कही चपरासी भी नही है….
पंडरिया तहसील मे कुल मिलाकर 9 पशु चिकित्सालय हैं जिनमे पंडरिया,कुन्डा,दामापुर,कोलेगांव,मोहगांव,पान्डातराई,कुकदुर,कोदवागोडान,एवं दुल्लापुर मे स्थित हैं….इन सभी जगहो पर चिकित्सालय बिल्डिन्ग बनाने के लिये करोड़ो रुपये खर्च किये गये हैं.. जिनमे से सिर्फ़ पंडरिया मे दो पशु चिकित्सक मुकेश लान्झेकर एवं मन्जू कोसले पदस्थ है.. बाकी सभी जगहो पर AVFO की नियुक्ति होनी चाहिए परन्तु सिर्फ़ कुन्डा,कुकदुर्,मोहगाव में AVFO है मगर बाकी के 5 चिकित्सालयो मे AVFO भी पदस्थ नहीं हैं …कोलेगाव पान्डातराई और दुल्लापुर एवं कोदवागोडान चपरासी के भरोसे चल रहा है.. सबसे ज्यादा शर्मनाक बात ये है कि दामापुर मे चपरासी भी नही है सिर्फ़ बिल्डिन्ग है …तथा कोलेगाव मे चपरासी तो है मगर पशु चिकित्सालय की बिल्डिन्ग ही नहीं है..
पोस्टमार्टम की व्यवस्था कही भी नहीं है….
पशुओं की कोई घटना दुर्घटना होने करेन्ट से मौत होने या एक्सीडेन्ट से पुलिस रिपोर्ट होने पर पोस्टमार्टम करना पड़े तो पंडरिया को छोड़कर बाकी किसी भी जगह पर पोस्टमार्टम की सुविधा नहीं है.. अर्थात जानवरो को बड़ी रकम खर्च कर पंडरिया लाना पडेगा… इस प्रक्रिया मे कई बार पशु पालको को बहुत बड़ी परेशानी और आर्थिक नुकसान का सामना करना पडता है…
गौसालय भी भगवान भरोसे…
तहसील मे तीन बड़े बडे गौसालय भी है.. जिनमें रोहरा गौसालय मे लगभग 400 पशु,गौरकापा गौसालय मे 350 पशु एवं रमतला गौसालय मे लगभग 200 पशु रहते है यहां की व्यवस्था भी भगवान भरोसे है… रोहरा गौसालय मे पशुओं के बीमार होने पर या टीकाकरण या कृत्रिम गर्भाधान की आवश्यकता पड़ने पर यहाँ से 15/20 किलोमीटर दूर मोहगाव से पशु सहायक चिकित्सक को बुलाया जाता है…गौरकापा एवं रमतला गौसालय पंडरिया के डाक्टरी के भरोसे आश्रित है…
कोरोना मे AVFO की नोडल अधिकारी के रूप मे सेवा ली गई….
एक तरफ़ पशुओ की चिकित्सा के लिये पूरे तहसील मे पशु डाक्टरो की कमी है दूसरी तरफ़ अभी कोरोना काल मे पशु सहायक लोगो की कोरोना टीकाकरण के लिये नोडल अधिकारी बनाकर अन्यंत्र ड्यूटी ली जा रही है जिससे पशु पालको को और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है…
गौठानो मे अव्यवस्था… 
तहसील के 144 पंचायतो मे से करीब 70 पंचायतो में सरकार ने सरकारी जमीनो मे कब्जे को खाली कराकर पशुओ के लिये गौठान तो बना दिये है मगर गौठानो मे भी अव्यवस्था का आलम है.. कही खाने के लिये चारा नहीं है पानी की व्यवस्था नही है कही गंदगी का आलम है…इससे भी पशुओ को परेशानी है….
पशु चिकित्सालय मे महिला डाक्टर मगर मनुष्यो के अस्पताल में महिला डाक्टर नहीं….
पंडरिया विधानसभा के मुख्यालय एव तहसील मुख्यालय के पशु चिकित्सालय मे महिला डाक्टर मन्जू कोसले पदस्थ है मगर मुख्यालय के सबसे बड़े मनुष्यो के सरकारी अस्पताल में पिछले 15 सालो से महिला डाक्टर नहीं है जिसकी चर्चा यहां हर गली चौराहे मे होती है…

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