मीटर रीडिंग लिए बिना ही भेजे बिल
नवागढ़ मुख्यालय के बिजली आफिस का हाल बेहाल।
संजय महिलांग/ नवागढ़ बेमेतरा/ विद्युत वितरण विभाग की मनमानी से इन दिनों नगर पंचायत नवागढ़ के अधिकांश उपभोक्ता खासे परेशान हैं। कई कई महीने तक मीटर रीडिंग नहीं हो रही है। इसके बाद भी अनाप शनाप बिजली बिल भेजा रहा रहा है। सुधार के लिए उपभोक्ता बिजली ऑफिस के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। उपभोक्ताओं को आफिस पहुंचने पर जिम्मेदार अधिकारी के नहीं मिलने से खासी परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों के छुट्टी पर होने के कारण लोगों का काम होना तो दूर कोई उनका दुखड़ा सुनने वाला तक नहीं मिल रहा। बिजली बिल में गड़बड़ी की उपभोक्ताओं की यह परेशानी लंबे समय से बनी हुई है।
शहर व ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की एक जैसी शिकायत है। कई महीने बाद अचानक रीडिंग दिखाकर अनाप शनाप बिजली बिल भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है, जो उपभोक्ताओं के समझ से परे है। बिजली बिल को देखकर उपभोक्ताओं का माथा ठनका हुआ है। विभाग के कई दावे के बावजूद व्यवस्था में सुधार नजर नहीं आ रहा है। बिजली का बिल में लगातार गलत रीडिंग बिजली बिल ज्यादा की शिकायत लेकर उपभोक्ता बिजली आफिस पहुंच रहें, लेकिन उनकी समस्या सुनने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिल रहा है। केवल एक बाबू ही लगभग 10 हजार उपभोक्ता को किसी तरह समझा रहा है, लेकिन वह भी समस्या का समाधान करने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा संबंधित बाबू सभी की समस्या भी नहीं सुन पा रहा है। इस माह एक तो बिजली की गलती से ज्यादा बिल के अलावा सिक्यूरिटी चार्ज जुड़कर आया है। जिससे बिजली का बिल मिलते ही उपभोक्ताओं के होश उड़ गए हैं और वे सुधरवाने संबलपुर रोड स्थित बिजली आफिस पहुंच रहे हैं। आफिस में लोगों को जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिल रहे हैं
लोग अपनी समस्या लेकर बिजली आफिस पहुंचेते हैं लेकिन जे ए ई से मुलाकात नहीं होती जिससे उपभोक्ताओं को काफी परेशानी हो रही है।
मीटर रीडिंग में लापरवाही
विभाग नवागढ़ में मीटर रीडिंग का काम आउटसोर्सिंग के माध्यम से करता है। ठेका माध्यम से मीटर रीडिंग व बिल वितरण का काम किया जाता है। बिजली बिल में गड़बड़ी का मुख्य कारण हर महीने रेग्युलर मीटर रीडिंग नहीं होना है। मीटर रीडरों की मनमानी के कारण इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है। विभागीय मानीटरिंग के अभाव में मीटर रीडरों की मनमानी जारी है। इसका खामियाजा सामान्य बिजली उपभोक्ता को भुगतना पड़ रहा है।
बिजली बिल ने ठंड में छुड़ाया उपभोक्ताओं काे पसीना
ठंड के मौसम में बिजली का बिल उपभोक्ताओं का पसीना निकाल रहा है। उपभोक्ताओं को घरो और संस्थाओं में पहुंचने वाले बिल में पहले से ही गड़बड़ी से लोग परेशान थे। इस माह अब सिक्योरिटी डिपाजिट जोड़कर भेजे गए बिल से लोग हलाकान हैं। विभाग द्वारा साल मेें एक बार दिसंबर-जनवरी माह में उपभोक्ताओं के पिछले साल की खपत से अधिक की खपत पर सुरक्षा निधि के नाम पर डेढ़ फीसदी रकम ली जाती है। इसके चलते उपभोक्ताओं का बिल इस बार काफी अधिक आया है। स्थिति यह है कि 500-600 रुपए तक के बिल का भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को इस माह से 970 रुपए का बिल भेजा गया है। हालांकि यह राशि जमा रहेगी। बिजली विभाग द्वारा इसका ब्याज भी दिया जाता है। बिजली विभाग के अफसरों के मुताबिक बढ़ती महंगाई के कारण बिजली के उत्पादन में खर्चे में भी इजाफा हुआ है। इसी के मद्देनजर पिछले वर्ष की कुल खपत और चालू वर्ष के अंतिम मह की खपत के अंतर की यूनिट के निकालकर बिल में उसका डेढ़ फीसदी चार्ज जोड़ा जाता है। इससे बिल दो से तीन गुना तक बढ़ जाता है।
मीटर ठीक तो बिल ज्यादा क्यों
शहर के ही कई बिजली उपभोक्ताओं की यह भी शिकायत है कि अगर उनके घर लगा बिजली मीटर ठीक है तो क्यों नियमित तौर पर हर महीने उनके यहां मीटर की रीडिंग नहीं होती है। उपभोक्ताओं के अनुसार एवरेज आधार पर विभाग कैसे बिजली बिल का निर्धारण करता है यह भी समझ से परे है। क्योंकि एवरेज बिल के तौर पर भी विभाग हर महीने अलग-अलग राशि चार्ज करता है। लोग इसके जांच की मांग भी कर रहे हैं।
संबलपुर रोड स्थित कार्यालय पहुंच रहे लोग
बिजली बिल ज्यादा आने पर उपभोक्ता बिल लेकर कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। मंगलवार को बिजली बिल पटाने आफिस पहुंचे गोपाल ने बताया कि पहले कम बिल आता था अब दिसंबर में का बिल सीधे 40.969.28 हजार रुपए आ गया है गोपाल ने बताया कि उसके घर में बिजली की इतनी खपत होना संभव नहीं है। कर्मचारी रीडिंग करते नहीं आते हैं। मनमाना बिल देकर लोगों को पटाने कहा जाता है। वही शिव कुमार का भी बिजली बिल ज्यादा आया है उन्होंने कहा कि कर्मचारी मीटर रीडिंग करने कभी-कभी आते हैं और पूछने पर कुछ बताने तैयार नहीं हाेते। जब से मीटर घर के बाहर लगाया गया है तब से रीडिंग में गड़बड़ी की जा रही है। रीडिंग कब होता है इसका पता भी नहीं चलता। अधिकारी कभी ध्यान नहीं देते। शिकायत करने पर जितना यूनिट जलाया गया उतना बिल भेजा गया है, कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। विभागीय कर्मचारी साल में एक बार सिक्योरिटी डिपाजिट के कारण बिल बढ़ने की बात कहकर चलता कर रहे हैं।