नवागढ़/बेमेतरा =संजय महिलांग
सदियों से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में अरण्डी के तेल और पत्तियों को औषधीय के रूप में उपयोग किया जाता हैं,पूरे देश में इसके पौधें प्राकृतिक रूप में सड़क के किनारे उगे हुए देखें जा सकते हैं, तथा किसान अपने खेतों में भी बुआई करते हैं। इसकी कई प्रजाति देश में प्रचलित हैं मगर इन सबसे दुर्लभ चतुष्कोण वाले अरण्डी हैं यह भारत देश से लगभग खत्म हो गए हैं।
देशी बीजो के संरक्षण संवर्धन के दिशा में काम करने वाले नगर पंचायत नवागढ़ के समृद्धि देशी बीज बैंक के संस्थापक /संचालक युवा किसान किशोर राजपूत ने इस दुर्लभ प्रजाति के बीज को संरक्षित करने का संकल्प लिया है। इनके पास दुर्लभ प्रजाति के इसके बीज हैं जो संवर्धन हेतु खेत के मेड़ पर लगाया गया है।
विष को अमृत बनाता हैं अरण्डी
सिर्फ अरण्डी के पेड़ ही वातावरण में फैले प्रदूषण को कम करने के काम करता है इनके पत्ते प्रदूषण को सोख लेता हैं।और वातावरण को शुद्ध हवा उपलब्ध कराता है । इसलिए
सदियों से प्रकृति प्रेमी इसके बीजों को सड़क किनारे डाल देते हैं