अक्कू रिज़वि /कांकेर वॉच ब्यूरो कांकेर/ शहर तथा जिले में गत रात्रि 2:00 बजे से बेमौसम की बारिश हो रही है। बीच में कुछ घंटे राहत देने के बाद दिन में 2:00 बजे से फिर वर्षा शुरू हो गई है और जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है । कांकेर जिले में विगत कई वर्षों से देखा जा रहा है कि सही वर्षा होती नहीं है वर्षा काल में तो सूखा पड़ा रहता है और दिसंबर, जनवरी में अचानक बारिश होने लगती है ,जिससे जो फसल किसी तरह तैयार हुई है, वह भी मार खा जाती है। काट कर रखी गई फसल खलिहान में खराब होती है और बेचे गए धान में मंडी में अंकुर उगने लगते हैं। यह हर साल का रोना है लेकिन शायद ही कभी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया होगा । तैयार फसल को बचाने हेतु अधिक से अधिक गोदाम चाहिए । वह सरकार बनाती नहीं। यहां तक कि खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई किसान की फसल को ढकने के लिए तालपत्री तक की व्यवस्था बहुत कम रहती है । फलस्वरूप सैकड़ों हजारों बोरे धान बर्बाद हो जाता है। इस वर्ष भी यही हो रहा है और अभी- अभी, दो- दो बार हो चुका है लेकिन शासन प्रशासन कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। जबकि उसका कर्तव्य है कि यदि तालपत्री और गोदाम की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो नुकसानी का आकलन कर मुआवजा तो दे सकता है। किसानों को यही थोड़ी बहुत आशा है, अन्यथा नुकसान तो साल दर साल हो ही रहा है। देखना होगा कि इस बार की बेमौसम वर्षा के बाद जिला प्रशासन कौन सा कदम उठाता है और उससे किसानों को क्या लाभ होता है…?
कांकेर में बार-बार मौसम खराब होने और नुकसान होने से किसान चिंतित…!!
