संजय महिलांग / नवागढ़ बेमेतरा। खेती में बढ़ते लागत और घटते आमदनी से हर किसान परेशान हैं फसल की गुणवत्ता बनाए रखना भी जरूरी है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए किसान अब जैविक खेती पर जोर दे रहा हैं नवागढ़ के युवा किसान किशोर कुमार राजपूत अपने खेतों पर रसायनिक खाद के बदले ताम्र युक्त छाछ में का छिड़काव कर 25% से 30% तक धान का उत्पादन बढ़ाया हैं। तिवरा की मौजूदा फसल में भी असर अच्छा असर दिखाई दे रहा है। ताम्र युक्त छाछ का छिड़काव करने के बाद फसल में 35 से 50 दिन तक नाइट्रोजन और फास्फोरस की पर्याप्त आपूर्ति होती हैं।
इन फसलों में किया छाछ का प्रयोग
किशोर राजपूत ने बताया गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार नागपुर में 23/2/2013 से 26/2/2013 में ट्रेनिंग लेने के बाद से अब तक धान,गेहूं, चना,तीवरा,अरहर,सरसों, मसुर के फसलों पर ताम्र युक्त छाछ का छिड़काव किया था वर्तमान में 3 एकड़ में छाछ का छिड़काव कर रहे हैं धान के अलावा सब्जियों में भी छाछ का अच्छा असर देखा गया हैं सेमी, बरबटी,टमाटर,लौकी,कोच,भिंडी,लाल मिर्च,पालक,लाल,खेड़ा भाजी,अरबी,जिमिकंद,हल्दी, मूनगा तथा फूलों में लाल गुलाब,सफेद गुलाब,कपास,फलों पर पपीता,अनार के पौधें शामिल हैं।
उर्वरक निर्माण में लगाने वाले आवश्यक सामग्री
1=मिट्टी के एक बर्तन
2=गाय का छाछ 2 लीटर*
3=तांबा का छोटा लोटा या तार 250ग्राम
4= शुद्ध पानी तीन लीटर
5= मटका बांधने के लिए रस्सी
6=एक लकड़ी या झारा,चिमटा
7= एक स्पैयर 15 लीटर पानी
8=सूती कपड़ा या पालीथीन आधा मीटर
*ताम्र युक्त छाछ निर्माण विधि*
*सर्व प्रथम मिट्टी के एक छोटे बर्तन में देशी गाय के ताजा छाछ 2 लीटर लेना है*।
*छाछ में एक छोटा लोटा या 250 ग्राम तांबे की तार या प्लेट को डूबा दीजिए जो पहले से धुला साफ सुथरा हो* ।
तांबे की कटोरी या तार को छाछ में डुबाने के बाद बर्तन के मुंह को एक कपड़े या पालीथीन में ढ़क कर रस्सी से कस कर बांधना है।
फिर ताम्र युक्त छाछ की इस बर्तन को 15 दिनों के लिए किसी छायादार पेड़ के नीचे अथवा मिट्टी के अंदर या सड़े हुए गोबर में पूरी तरह ढ़ककर रखना है।
*ढकने के सोलहवे दिन उक्त मिट्टी के बर्तन को निकाल कर किसी लकड़ी के सहारे से तांबा के तार या कटोरी को बाहर निकालना चाहिए। तार या पात्र का रंग हरा हो जाएगा तो समझ लीजिए खाद ठीक से बना है तांबे को धोकर छाछ में ही मिला दीजिए। अब छाछ छिड़काव करने के पूर्व छाछ को किसी कपड़े या जाली से छान कर उपयोग कर फसल में छिड़काव किया जा सकता है।*
फसल में छिड़काव करने का तरीका
*छाछ से निर्मित यह एक अद्भुत भूमि स्वास्थ्य वर्धक ,फसल उत्पादवर्धक, कीट नियंत्रण, पौध वर्धक टानिक हैं जिसका पूरे फसल के दौरान कई बार छिड़काव करना है।
1.पहला छिड़काव 20 दिन की फसल में 500 मिली लीटर ताम्र युक्त छाछ /और 15 लीटर पानी(एक स्पेयर) में करना है एक एकड़ 8 स्पेयर छिड़काव करना है।
2.हर 15 दिन में पुनःउपरोक्त मात्रा को दोहराना हैं। छिड़काव जब तक फसल पक नहीं जाता तब तक करना है।
3=सब्जियों के लिए प्रति स्पेयर 50 मिली छाछ और 15 लीटर पानी मिलाना है।
इसके उपयोग से होने वाले लाभ
1=इसके छिड़काव से फसल में प्राकृतिक नाइट्रोजन फास्फोरस मिलता है।
*2=यह मित्र कीटो की संख्या बड़ाकर दुश्मन कीटो से फसल की सुरक्षा करता हैं।
3=इसमें मौजूद माइक्रोबियल के कारण फसल उत्पादन दर 25 से 30 % तक बढ़ता है।
4=फसलों में ज्यादा फूल निकलने में मदद करता है
5=फसल में लगाने वाले फलों के आकार एक समान करता हैं।
6=बेमौसम फल गिरने से रोकता हैं।
7=फसल के पकने तक स्वस्थ्य रहता है।
8=धान में लगाने वाले जड़ जलन और माहू दूर होता है।*
9=मिर्ची, भिंडी,पपीता और मंदार में लगाने वाले सफेद सुपर बग भी खत्म हो जाता है।
11= मिट्टी मुलायम होता हैं।
*रसायनिक उर्वरक में लगने वाले खर्च इस प्रकार हैं
1=यूरिया 1 बोरी= 350 रुपए
2=डीएपी 1 बोरी =1500 रुपए
3=पोटाश 1 बोरी =1000 रुपए
कीटनाशक दवाएं की लागत
4=500 मिली लीटर= 1000 रुपए
5= 250 मिली लीटर चिपको= 100 रुपए
जाईम खाद की लागत
6= 5 किलो =500 रुपए
7=निंदानशक 1 लीटर 500 रुपए
8=स्पेयर किराया 50रुपए
रसायनिक खादमें कुल खर्च
= 5000
लगभग पांच हजार रुपए
छाछ से देशी यूरिया बनाने में आने वाले खर्च एक बार
1= एक मटका=50 रुपए
2= छाछ दो लीटर= 80रुपया
3=रस्सी 5 रुपए
4= कपड़ा 10 रुपए या पालीथीन
5=तांबा का लोटा या तार=30रुपए
कुल खर्च 175 रुपए
ताम्र युक्त छाछ तैयार करने में कम सामग्री के साथ ही रासायनिक खाद में लगने वाली राशि का सिर्फ 3.5 प्रतिशत ही लगता है।