नई दिल्ली। आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे हर साल 07 दिसंबर को मनाया जाता है. इसे सशस्त्र बल झंडा (Armed Forces flag) दिवस या झंडा दिवस (Flag Day) भी कहते हैं. इसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र सेना के कर्मियों के कल्याण के लिए फंड जुटाना और उनके परिवार के भलाई में इसका खर्च किया जाना है.
सशस्त्र बल झंडा दिवस की शुरुआत 7 दिसंबर 1949 के दिन से हुई. केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए सात दिसंबर को सशस्त्र बल झंडा दिवस (Flag Day India) मनाने का फैसला लिया था. तब से हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र बल झंडा दिवस मनाया जाता है.सरकार ने 1993 में संबंधित सभी फंड को एक सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में मिला दिया था.
क्यों मनाया जाता है सशस्त्र सैन्य झंडा दिवस
सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर हुए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य है- पहला युद्ध के समय हुए नुकसान में मदद, दूसरा सेना में काम कर रहे लोगों और उनके परिवार के कल्याण और मदद के लिए. तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार की मदद.
इस दिन इंडियन आर्मी (Indian Army), इंडियन एयर फोर्स (Indian Air Force) और इंडियन नेवी (Indian Navy) तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करती है. कार्यक्रमों से जो धन संग्रह होता है, उसको ‘आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे फंड’ में डाल दिया जाता है. इस दिवस के जरिए देश सेना और सैन्य कर्मियों व उनके परिवार का आभार भी जताता है और उनके लिए आर्थिक फंड जुटाने का काम होता है। रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सैनिक बोर्ड की स्थानीय शाखाएं इस दिन धन संग्रह का प्रबंधन करते हैं. इसमें एक प्रबंधन समिति और स्वयंसेवी संगठन होते हैं.
क्यों दिए जाते हैं लाल और नीले रंग के झंडे
देशभर में सैन्य बलों के लिए गए धन संग्रह के बदले लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग के झंडे दिए जाते हैं. ये तीनों रंग तीनों भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का प्रतीक हैं. ये दिन हमें इस बात का भी ध्यान दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातों में डटे जवानों के परिजनों के लिए हम भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
वेबसाइट पर जाकर भी कर सकते हैं मदद
आपको बता दें कि इस दिन देश के लाखों लोग सेना के जवानों के लिए आर्थिक सहयोग में भागीदारी निभाते हैं. इसके अलावा कोई भी इच्छुक व्यक्ति केंद्रीय सैनिक बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर भी ऑनलाइन अपना सहयोग इसमें कर सकता है.