रायपुर। तीसरी लहर की आशंका के बीच राहत की बड़ी खबर ये है कि प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन इतना बढ़ गया है कि तीसरी लहर पूरी शिद्दत से आती है, तब रोजाना 21 हजार मरीजों को ऑक्सीजन सीधे बेड पर पहुंचाई जा सकती है। प्रदेश में पिछले छह माह में 73 से अधिक आक्सीजन प्लांट अस्पतालों में ही तैयार कर लिए गए हैं। इनसे वहीं के सेटअप में कुल 15 हजार मरीजों को बिस्तर में ऑक्सीजन पहुंचाई जा सकती है।दूसरी लहर के पीक में प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन 386.92 टन प्रतिदिन था, जो बढ़कर 461 टन हो चुका है। यही नहीं, प्रदेश के अस्पतालों में अभी 112 से अधिक आक्सीजन प्लांट निर्माणाधीन हैं। ये तीन-चार माह में चालू हो जाएंगे, उसके बाद 25 हजार मरीजों को सीधे बिस्तर पर रोजाना अक्सीजन पहुंचाई जा सकेगी, यानी यहां के अस्पतालों में इतने ऑक्सीजन बेड हो जाएंगे।
प्रदेश में दस्तावेजी तौर पर दूसरी लहर में भी ऑक्सीजन का संकट नहीं था, लेकिन बेड नहीं थे इसलिए सैकड़ों मरीजों तक जरूरत के समय ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाई। जब दूसरी लहर आई, प्रदेश में करीब 300 टन मेडिकल आक्सीजन का उत्पादन हो रहा था। इसमें अस्पताल और उद्योगों के जरिए बनाई जा रही आक्सीजन शामिल है। जरूरत बढ़ी तो दूसरी लहर के दौरान ही नई कंपनियों को आक्सीजन बनाने की अनुमति दी गई, लिहाजा अप्रैल में ही आक्सीजन उत्पादन बढ़कर 386.92 टन से अधिक हो गया।डेमिक