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जानिए सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को लेकर दूसरे देशों में क्या है मान्यता!

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भारत : भारतीय धारणा है कि राहु और केतु ने खुद के शरीर के दो हिस्से होने का जिम्मेदार सूर्य और चंद्रमा को मानते हैं.बदला लेने के लिए राहु समय समय पर सूर्य और चंद्रमा का ग्रास करता है. जब राहु सूर्य को निगल लेता है, तब सूर्य ग्रहण होता है और जब राहु चंद्र को निगलता है, तब चंद्र ग्रहण होता है. ऐसे में सूर्य या चंद्र पीड़ित होते हैं. चूंकि राहु का धड़ नहीं है, इस कारण वो सूर्य या चंद्रमा को पूरी तरह निगल नहीं पाता है और कुछ ही देर में सूर्य वापस अपनी स्थिति में लौट आता है. इसके साथ ही ग्रहण समाप्त हो जाता है.

चीन : चीन के लोग मानते हैं कि जब ड्रैगन सूर्य को निगल लेता है तो सूर्य ग्रहण की घटना घटती है. सूर्य को ड्रैगन की गिरफ्त से छुड़ाने के लिए चीनी लोगों के देवता झांग जियान ड्रैगन पर तीर चलाते हैं, इसके बाद सूर्य ड्रैगन की पकड़ से छूट पाते हैं और ग्रहण समाप्त होकर स्थिति सामान्य हो जाती है.

यूनान : यूनानी सभ्यता के लोगों की अपनी एक अलग कहानी है. यूनानी लोगों का मानना है कि जब भगवान लोगों से नाराज हो जाते हैं, तो ग्रहण हो लग जाता है. नाराजगी दूर होने के बाद सूर्य वापस अपनी स्थिति में लौट आते हैं.

वियतनाम : वियतनाम के लोग ग्रहण की घटना को मेंढक से जोड़ते हैं. उनके अनुसार एक बड़ा सा मेंढक जब सूर्य या चंद्रमा को निगल लेता है तब ग्रहण लग जाता है. भगवान जब उस मेंढक को थूकने के लिए कहते हैं, तब वो थूकता है और सूर्य या चंद्रमा जो भी उसकी पकड़ में होता है, वो वापस अपनी स्थिति में आ जाता है. इसी के साथ ग्रहण समाप्त हो जाता है.

उत्तरी अमेरिका : उत्तसरी अमेरिका की चिपेवा जनजाति के लोग मानते हैं कि आकाश में तीर चलाने पर सूर्य ग्रहण समाप्त होने लगता है और सूर्य अपने स्वरूप में वापस आ जाता है.

 

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