रायपुर। प्रदेश में सड़क हादसों की रफ़्तार में ज़बर्दस्त उछाल आया है। पुलिस विभाग के आँकड़ों से यह तथ्य सामने आया है कि बीते नौ महिनों में हर रोज़ 34 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें रोज़ाना चौदह लोगों की मौत हुई है जबकि 28 लोग घायल हुए हैं। सड़क हादसों की राजधानी के रुप में भी रायपुर सामने आया है। सड़क हादसों के मामलों में सर्वाधिक संख्या राजधानी रायपुर की है। आँकड़ों से राज्य में सड़क हादसों की भयावह तस्वीर सामने आती है। पुलिस की लगातार क़वायद और यातायात के प्रति सजगता की हर कोशिश के बावजूद आंकड़े डरावने हैं। राजधानी में बीते नौ महिनों में 1269 सड़क हादसे के मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 350 लोगों की मौत हुई है। राज्य में सड़क हादसों में दूसरे नंबर पर बिलासपुर, तीसरे पर दुर्ग चौथे पर राजनांदगाँव और पांचवें पर रायगढ़ शहर है। सड़क दुर्घटनाओं के आँकड़ों से स्पष्ट है कि पहले नौ माह में सड़क हादसों में मौत के आंकड़े जो पहले 12.15 फ़ीसदी थे वे अब 24.87 प्रतिशत जबकि घायलों में 5.53 फ़ीसदी की चिंताजनक वृद्धि है। एकीकृत सड़क दुर्घटना का डाटा बेस बताता है कि सबसे ज़्यादा सड़क हादसे खुले मौसम और खुले इलाक़े में हुए हैं, और मरने वालों में 20 से 25 वर्ष आयु के लोग सबसे ज़्यादा हैं। सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटनाएँ ज़िलों की मुख्य सड़कों पर हुई हैं, जिनका आँकड़ा 51.83 फ़ीसदी है, जबकि एनएच पर यह आँकड़ा 28.57 फ़ीसदी है। सबसे ज़्यादा मौतें दोपहिया सवारों की हुई हैं। जबकि क़रीब तीन फ़ीसदी सायकल सवारों की भी मौतें हुई हैं। आंकड़े साल के पहले नौ महिने के हैं, लेकिन इस का आख़िरी महिना याने नवमा महिना सितंबर में हुए सड़क हादसों ने बीते आठ महिने के रिकॉर्ड की क़रीब क़रीब बराबरी कर ली है। सितंबर में हर रोज़ क़रीब तैंतीस हादसे हुए, हर रोज़ इन सड़क हादसों में बारह लोग की मौत हुई जबकि 28 लोग घायल हुए हैं। स्पेशल डीजी आर के विज ने राज्य के सभी कप्तानों को निर्देश जारी कर सड़क हादसों के प्रति सावधानी जागरुकता के साथ साथ विशेष अभियान चलाकर कार्यवाही करने के स्पष्ट निर्देश दिए है।
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