प्रांतीय वॉच

जाली उप-स्वास्थ्य केंद्र में लटक रहा ताला , कैसे होगा लोगों का उपचार,लाखों रुपए का भवन निर्माण खंडहर में तब्दील

Share this
रतनपुर : कोटा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत जाली के उप स्वास्थ्य केंद्रों पर कहने को तो यहां 24 घंटे एनएम और इलाज की सुविधा मिलना है, लेकिन ताला नहीं खुलने से ग्रामीणों को रतनपुर के साथ जिला मुख्यालय तक इलाज कराने के लिए जाना पड़ रहा है या फिर झोलाछाप डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उपस्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ एएनएम कार्यकर्ता के उपस्थित नहीं रहने के चलते उन्हें टीकाकरण कराने में समस्या आती है, लेकिन उसके बावजूद भी  उप स्वास्थ्य केन्द्रों में ग्रामीणों को दवा तक उपलब्ध नहीं हो पाती है । कोटा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत जाली में उप स्वास्थ्य  केन्द्र हैं, जिनको एनएम द्वारा देखा जाता है, इनकी मॉनिटरिंग के लिए सुपर वाईजर से लेकर अन्य अमला भी पदस्थ है, बावजूद इसके उप स्वास्थ्य केन्द्रों से ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, उपस्वास्थ्य केन्द्र अपनी दुर्दशा पर रो रहा हैं, जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जाली शासकीय उप स्वास्थ्य केंद्र में पिछले कई दिनों से ताला लटका हुआ हैं, वहीं जिले में बैठे जिम्मेदार जांच सहित अन्य के नाम पर वाहन द्वारा डीजल का भुगतान लेते है, लेकिन समझ से परे  यह है कि आखिर इनके द्वारा किस चीज की जांच की जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराना महज दिखावा बनकर रह गया है, क्योंकि कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर पिछले कई दिनों से उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटक रहा है। मजे की बात तो यह है कि यहां पदस्थ जिम्मेदार से अगर कोई पूछ ले कि आप कहां हैं, तो इनके द्वारा मीटिंग के साथ भ्रमण बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि कई दिनों तक इन उप स्वास्थ्य केन्द्रों का ताला नहीं खुलता, जिस वजह से हमें छोटी बीमारियों तक के लिए या तो जिला चिकित्सालय या झोलाछाप की शरण लेनी पड़ती है।
ग्रामीणों का है दुर्भाग्य 
जाली में शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत रैनपुर,कर्रा,मेलनाडीह, सहित  अन्य कई ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जो अपनी दुर्दशा खुद बयां कर रहे हैं, जिला मुख्यालय से सूदूर बसे  ग्रामीणों की अपनी अलग ही पीड़ा है। ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ मुहैया करवाने के उद्देश्य से सरकार ने गांव में उप-स्वास्थ्य केन्द्र खोला था, लेकिन यह ग्रामीणों का दुर्भाग्य ही रहा कि लाखों रुपये की लागत से बने उप-स्वास्थ्य केन्द्र में आये दिन ताला लटका रहता है।व खंडहर में तब्दील हो गया है। ग्रामीण उपचार के लिए झोलाझाप डॉक्टरों की शरण लेने को मजबूर हैं। लॉक डाउन-1 से गांव से कस्बे तक कोई बस या अन्य वाहन सेवा की सुविधा न होने पर आपातकालीन स्थिति में समय पर मिलने वाली चिकित्सा सुविधा की संभावना क्षीण हो चुकी है।
जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध 
यूं तो मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर उप-स्वास्थ्य केंद्र जाली भी है, जहां चिकित्सा सुविधा का लाभ न मिलने पर ग्रामीण परेशान है, इतना सब कुछ होते हुए भी स्वास्थ्य विभाग उप-स्वास्थ्य केंद्र की सुध नहीं ले रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में स्थित उप-स्वास्थ्य केंद्र पर कई दिनों से ताला बंद पड़ा है, जिससे निर्माण से लेकर आज तक इसका उचित लाभ ग्रामीणों को मिल ही नहीं पाया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आने वाले उप-स्वास्थ्य केंद्रों के बंद रहने की शिकायत कई बार ब्लाक सहित जिले में बैठे अधिकारियों से की जा चुकी है, लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर से पूरी तरह चुप्पी साध रखी है,
एएनएम की लापरवाही 
पिछले दिनों मेलनाडीह  में दो कोरोना के पॉजिटिव मरीज मिले थे इसके साथ तीन नेगेटिव को होम आइसोलेशन किया गया था जिसमें पॉजिटि  के साथ नेगेटिव को रखा गया जोकि  बीमारी को बढ़ावा देना है इस लापरवाही का  आखिर जिम्मेदार कौन है   एएनएम द्वारा केवल मितानिनों के माध्यम से दवा उपलब्ध कराया जाता है लेकिन मितानिन भी एनएम के नहीं आने पर लापरवाह हो गए हैं और जनता को दवा का फायदा नहीं मिल पा रहा है इसलिए एन एम के सरक्षण में झोलाछाप डॉक्टर का वर्चस्व बढ़ गए हैं
कभी कभार पहुंचते
काफी जर्जर हो चुकी हो गया है स्वास्थ्य कर्मी के नहीं आने के कारण उसका देखरेख नहीं हो रहा है लोगों का कहना है कि एनएम नहीं आते हैं । कभी कभार आते हैं टीका के सुविधा आंगनबाड़ी व राजीव मिशन में किया जाता है 3 वर्षों से ताला लटका हुआ है
धर्मेंद्र मरावी 
सरपंच प्रतिनिधि जाली 
मितानिन के सहारे काम कराना चाहते
जाली उप स्वास्थ्य केंद्र मोदी सरकार के लॉकडाउन के पहले से ही वहां लॉकडाउन हो चुका है भूपेश सरकार व कलेक्टर भी लॉकडाउन कर चुके हैं यहां के एनएम जो मेंटेनेंस के नाम से डीजल के नाम से पैसे भी खा जा रहे हैं लेकिन ताला लटका हुआ है एनएम की लापरवाही पॉजिटिव मरीज के साथ नेगेटिव मरीज को रखते हैं और केवल मितानिन के सहारे काम कराना चाहते हैं लेकिन मितानिन भी घर घर जाते नहीं है और झोलाछाप डॉक्टर को  संरक्षण दे रहे हैं।
राकेश सिंह चौहान 
किसान नेता
Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *