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सीमेंट की बढ़ती क़ीमत एवं क़िल्लत के लेकर छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा

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कमलेश लव्हात्रे/बिलासपुर : पूरे ज़िले में बाते 20 दिनों से सीमेंट की क़िल्लत है। दुकानों में ट्रेड का सीमेंट है और न ही हम व्यापारियों को नान ट्रेड सीमेंट की सप्लाई हो रही है। हरेक सीमेंट कम्पनी का यही जवाब है की ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर हैं। ऐसा लगता भी है क्योंकि सीमेंट कम्पनियों से लोड लेकर ट्रकों का आना बंद है। इसका मतलब यह नहीं है की ज़िले में सीमेंट नहीं पहुँच रहा है। अधिकतर कम्पनियों के पास रेल मार्ग की सुविधा है। ज़िले में सीमेंट रेल मार्ग से पहुँच रहा है, लेकिन सिर्फ़ ट्रेड का। इसमें भी कम्पनियाँ दुकानदारों को सीधे सप्लाई देने के बजाय सीमेंट डिपो में डम्प करा रहे हैं। कम्पनियाँ डिपो से अपनी क़ीमतों पर सप्लाई दे रहे हैं। नतीजा यह है की बाज़ार में सीमेंट की प्रति बोरी क़ीमत300₹ पहुँच गई है।

कंपनियों ने हम ब्रिक्स व्यापारियों को नान ट्रेड का सीमेंट देना बंद कर दिया है। अब समस्या यह है की बजार से ट्रेड का सीमेंट ज़रूरत के अनुरूप नहीं मिल रहा है और नान ट्रेड की सप्लाई तो पूर्णतः बंद है। ज़िले में सीमेंट संबंधित जो भी उद्योग हैं उनमें से २० फ़ीसदी बंद हो चुके हैं। 50फ़ीसदी प्लांट ऐसे हैं जिनके पास 5दिनों का सीमेंट बाँकी है। हालत यह है कि अगले 7दिनों में संपूर्ण उद्योग सीमेंट की कमी से बंद हो जाएंगे। महोदय ध्यान देने योग्य है कि ट्रांसपोर्टों का हड़ताल जारी है, अभी भाड़ा वृद्धि नहीं हुई है। बावजूद इसके कम्पनियों ने मनमाने ढंग से प्रति बोरी 30 से 40 रुपय की बढ़ोतरी कर दी है।

हमारा व्यापार रियल स्टेट पर निर्भर है। दो साल के क़रोना काल के बाद बाज़ार में थोड़ी तेज़ी आई थी। सीमेंट की क़िल्लत और बढ़ती क़ीमत से ये काम भी ठप्प हो रहा है। सरकारी और निजी दोनों ही निर्माण कार्य बंद हो गए हैं। हालत यही रहे तो हम उद्योग संचालकों के साथ हज़ारों मज़दूरों के सामने भी रोज़गार का संकट रहेगा। ऐसे में स्थानीय मज़दूरों का दूसरे राज्यों की ओर पलायन भी होगा।

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