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सड़क दुर्घटना में मारे गए सॉफ्टवेयर डेवलपर के परिवार को 8 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा, कोर्ट ने जब्त की राज्य सरकार की बस

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कर्नाटक: सड़क दुर्घटना पीड़ित परिवार को 2.82 करोड़ रुपये का मुआवजा देने में विफल रहने के बाद पहली बार, कर्नाटक की एक निचली अदालत ने राज्य द्वारा संचालित निगम से संबंधित एक बस को जब्त कर लिया है. कोर्ट ने उत्तर पश्चिमी कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (NWKRTC) को 2013 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के परिवार को राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था. परिवार इस आधार पर मुआवजे की मांग करने के लिए अदालत गया कि दुर्घटना के समय संजीव सिर्फ 39 वर्ष का था और आईबीएम में प्रति माह 2.10 लाख रुपये कमा रहा था. परिवार ने ब्याज सहित 3.55 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया था. NWKRTC ने दावा किया कि संजीव की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना हुई. हालांकि, अदालत ने माना कि दुर्घटना बस चालक द्वारा तेज गति से और लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई.

‘ब्याज दर के साथ 2.15 करोड़ के मुआवजे का हकदार था परिवार’
अदालत ने यह भी देखा कि एक स्वतंत्र गवाह ने ड्राइवर को दोषी ठहराया और एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी (NWKRTC) के पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि पाटिल की लापरवाही के कारण उसकी मौत हुई. अदालत ने माना कि दावेदार एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी द्वारा भुगतान किए जाने वाले 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर के साथ 2.15 करोड़ रुपये के मुआवजे के हकदार थे. दावणगेरे के दूसरे अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल जज ने कहा, “अदालत ने दस्तावेजों और वेतन पर्ची के माध्यम से इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि संजीव पाटिल की मासिक आय 1,57,178 रुपये थी और संजीव पाटिल के व्यक्तिगत खर्चों में कटौती करने पर यह लगभग 1,17,884 रुपये आता है. उम्र को ध्यान में रखते हुए, 15 गुणक को अपनाया गया और 2,12,19,120 रुपये निर्भरता के नुकसान पर और दुर्घटना की तारीख से 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ.

‘कोरोना के समय निगम को हुए नुकसान के कारण नहीं दे पाए मुआवजा’
एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी (NWKRTC) के हावेरी डिवीजन के डिवीजनल कंट्रोलर, जगदीश वीएस, जो मामले में पहले प्रतिवादी हैं, ने कहा: “हमने 1.52 करोड़ रुपये मुआवजे का भुगतान किया है और मामले को हाई कोर्ट में ले गए हैं. हालांकि, कोई स्थगन आदेश नहीं था जिससे अदालत के अधिकारियों ने बस को जब्त कर लिया. हम अदालत से पैसे का भुगतान करने के लिए हमें और समय देने के लिए कह रहे हैं क्योंकि कोरोना स्थिति के कारण निगम को भी भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि एक बस की कीमत लगभग 29 लाख रुपये है और जो बस जब्त की गई है वह दो साल पुरानी है और महामारी की स्थिति के कारण ज्यादा संचालित नहीं हुई.

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