जबलपुर। महिलाओं का प्रमुख निर्जला व्रत हरतालिका तीज इस बार दुर्लभ संयोग में मनाया जाएगा। जिसमें विशेष रूप से रवियोग के साथ ही चित्रा नक्षत्र भी रहेगा। पंचाग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। हस्त एवं चित्रा नक्षत्र, कन्या राशि और रवियोग में यह महाव्रत 9 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए ये व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं मन चाहा वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं।
इस तरह बन रहा संयोग : ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि दुर्लभ संयोग में रवि योग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। यह योग 9 सितंबर को दोपहर 4:47 बजे से 10 सितंबर को 3:38 बजे तक रहेगा। वहीं हरतालिका तीज पर पूजा के लिए सबसे शुभ समय शाम को 5:18 बजे से रात को 8:34 मिनट तक है। जिस वक्त हरतालिका तीज की पूजा की जाएगी उस वक्त रवि योग लगा रहेगा।
क्या है हरतालिका : हरतालिका शब्द दो शब्दों से बना है। पहला शब्द है हरिण, जिसका अर्थ हरना या हरण करना होता है, वहीं तालिका का अर्थ सखी के मेल से बना है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस तिथि में देवी माता पार्वती को सखी ने उनके पिता हिमालय के घर से हरण करके जंगल लेकर आईं थीं। जहां पर देवी माता पार्वती ने कठोर तप किया और भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया।
आठ पहर होती है पूजा : हरतालिका तीज व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, देवी पार्वती और श्री गणेश जी की पूजा करती हैं। पूजा के लिए महिलाएं इन देवी-देवताओं की कच्ची मिट्टी से मूर्ति बनती हैं और इनकी विधि-विधान से पूजन करती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। व्रत में किसी प्रकार का अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के अगले दिन महिलाएं व्रत का परायण जल पीकर करती हैं और व्रत समाप्त करती हैं। हरतालिका तीज के व्रत में आठों पहर पूजन का विधान है। इसलिए इस व्रत में रात्रि जागरण करते हुए शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप या भजन करना चाहिए। पूजन के दौरान हरतालिका तीज की व्रत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए। यह विशेष फलदायी होता है।