प्रांतीय वॉच

बाजार के बाद सरकारी दफ्तरों पर कोरोना का असर 

Share this
गरियाबंद : कोरोना महामारी की वजह से जिले का बाजार ( व्यवसाय ) काफी पस्त हो गया है। इस महामारी के प्रारंभिक दिनों अर्थात 24 मार्च के बाद लॉक डाऊन या जनता कर्फ्यू काल में कई हफ़्तों तक बाजार बंद रहा था , किन्तु सरकारी काम काज चल रहा था। अब इस महामारी का असर सरकारी काम काज पर भी पड़ने लगा है। आलम ये है कि 7 सितंबर को कलेक्ट्रेट कार्यालय के 8 कर्मचारी नॉवेल कोरोना वायरस से धनात्मक संक्रमित पाये जाने के बाद 72 घंटो अर्थात तीन दिनों के लिये पूरे कलेक्ट्रेट कार्यालय को बंद कर दिया गया था। जिला पंचायत के सीईओ तो ईससे भी एक कदम आगे निकल गये थे , उन्होंने जून महीने के आखरी सप्ताह में ही जिला पंचायत कार्यालय का मुख्य द्वार बंद करवा दिया था और कार्यालय में आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। मामला मीडिया से होते हुए जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू तक पहुंचा और उन्होंने सीईओ की इस हरकत को गलत बताया था। अस्तु , कोरोना की वजह से जिले की व्यवसायिक गतिविधियों में आई गिरावट के बाद अब सरकारी कामकाज भी प्रभावित है। सरकारी दफ्तरों की रौनक फीकी पड़ रही है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठकें आयोजित हो रही है। जिले के विकास कार्यो पर भी इसका असर पड़ेगा।

ऐसा है जिले में कोरोना का लेखा जोखा

छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला मामला 18 मार्च 2020 को सामने आया , राजधानी रायपुर के पॉश इलाके की लंदन से लौटी एक युवती कोरोना पॉजिटिव पायी गई थी। अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह से गरियाबंद जिले की सीमा पुनः सील की गई थी, दुबारा लॉक डाऊन हुआ। जिले से पलायन कर गये मजदूरों का जत्था 12 मई के बाद लौटने लगा था। जिले की पहली कोरोना संक्रमित युवती 22 मई को राजिम में मिली थी जो राजस्थान के कोटा से लौटी थी । 24 मई तक जिले में 5 संक्रमित मिले थे , जिसके बाद ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि 12 सितंबर तक जिले के संबंध में स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ो के अनुसार जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 740 हो चुकी है , इनमें से 417 स्वास्थ्य हो चुके हैं जबकि एक्टिव केस 319 है तथापि 4 लोंगो की मृत्यु होना पाया गया है। कोविड – 19 अर्थात कोरोना संक्रमण से निपटने जिले में डेडिकेटेट कोविड हॉस्पिटल संचालित किया जा रहा है जहाँ वर्तमान में 50 बेड की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त न्यू पॉलिटेक्निक कॉलेज में 150 बिस्तरों की व्यवस्था के साथ कोविड केयर सेंटर हाल ही में शुरू किया गया है।

ये विभाग रहे चर्चित

महामारी के इस दौर में भी जिले के कुछ शासकीय विभाग अपनी कारगुजारियों की वजह से चर्चित रहे हैं , इनमें जिले भर में अवैध रेत उत्खनन व परिवहन को लेकर जहाँ खनिज विभाग काफी चर्चित रहा तो दूसरी ओर खाद्य विभाग के भी जलवे बरकरार रहे , पूर्व में यहाँ से तबादले पर गये खाद्य अधिकारी की जिले में वापसी हुई और जिले में राशनकार्डो के बदले पैसों का लेनदेन उजागर होने लगा , बिन्द्रानवागढ़ पंचायत में इस शिकायत को लेकर की गई जांच भी सवालों के घेरे में रही। इसके साथ ही साथ फिंगेश्वर ब्लॉक में थाना प्रभारी फिंगेश्वर द्वारा बड़ी मात्रा में पीडीएस के राशन की हेरा फेरी को भी पकड़ा गया , इस पर आज दिनांक तक जांच चल रही है और गिरप्तारियाँ हो रही हैं। आज इस मामले चार सेल्समैन की गिरफ्तारी की गई है जबकि पूर्व में भी 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस सबके बीच काफी उम्मीदों से लौटे जिला खाद्य अधिकारी का पुनः तबादला कर दिया गया है।
किसी समय का सिंचाई विभाग ( तत्कालीन जबान में इसे खिंचाई विभाग भी कहा जाता था ) और आज का जल संसाधन विभाग गरियाबंद भी काम काज में गड़बड़ियों को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में चर्चित हुआ। छत्तीसगढ़ विधानसभा के वरिष्ठ सदस्य धनेंद्र साहू ने गरियाबंद जल संसाधन विभाग में गड़बड़ियों को लेकर सवाल उठाते कहा था कि विभागीय अधिकारी स्थल निरीक्षण करने नही जाते। गरियाबंद डिवीजन में करोड़ो का काम पीस वर्क के माध्यम से लगातार तीन वित्तीय वर्षो में किया गया जबकि ये कार्य टेंडर से होने वाले थे।  धनेंद्र साहू ने आरोप लगाया कि गरियाबंद डिवीजन के अधिकारी कार्यस्थल पर नही जाते।
Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *