टीकम निषाद/देवभोग : कुहिमाल जंगल के बीचो बीच कुसेरसेल पारा के 35 परिवार के करीब 80 लोग आज भी बिजली-सड़क-पानी स्वास्थ्य राशन कार्ड सहित अन्य योजनाओं के लिए तरस रहे हैं। मतलब यहां के निवासी लोकसभा और विधानसभा पंचायती चुनाव में हिस्सेदारी निभाने के बाद भी सरकार की योजनाओं से वंचित है सबसे ज्यादा पानी के लिए कूसेर सेल पारा के लोग तरस रहे हैं। क्योंकि एक छोटा गड्ढा खोदा गया है। जहां पानी की जमावट होती है। और वही पानी को निकालकर ग्रामीण पीने एवं खाना पकाने मैं इस्तेमाल करते हैं। जबकि गर्मी के दिनों यहां के रहवासी बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज दिखाई पड़ते हैं। क्योंकि खोदी गई गड्ढा के अलावा ग्रामीणों के समक्ष दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है। शासन प्रशासन के लिए शर्मिंदगी की बात तो यह है की यहां के निवासियों को उड़ीसा से आवागमन करने वालों को चंदा मांग कर सड़क बनाना पड़ा है। ग्रामीणों के अनुसार तररा गांव से 3000 बूढ़ा अमार से 4000 और मू डीबेड़ा गांव के लोगों से जेसीबी का सहयोग एवं कुहीमाल पंचायत प्रतिनिधियों और स्वयं चंदा कर आवागमन के लिए अस्थाई सड़क निर्माण किया है। तब कहीं जाकर पंचायत एवं अमलीपदर मार्केट करने पहुंच पाते हैं। इसके साथ बच्चों के लिए पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते 3 से 12 वर्ष के बालक बालिका भेड़ बकरी चराने को मजबूर है ।जबकि इस गांव में 12 से अधिक ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ाई कि मुख्यधारा से जूड़ने की इच्छा रखते हैं। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति और गांव से स्कूल की दूरी को देख अपनी इच्छाओं को धीरे धीरे समाप्त करने के लिए मजबुर हैं। इस बीच अधिकारियों ने गांव में सिर्फ एक एक नग सोलर लाइट देकर विकास का दावा कर रहे हैं। जबकि गांव में सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति तो बिना राशन कार्ड वाले परिवारों का है। क्योंकि कूसेलपारा के 35 में से सिर्फ 12 परिवार को ही राशन कार्ड मिल पाया है। बाकी परिवार महंगे दाम पर चावल शक्कर खरीद कर जीवन यापन करने को मजबूर हैं। हालांकि राशन कार्ड के लिए पंचायत में कागजी प्रक्रिया पूरा कर खाद्य विभाग को भेज दिया है। लेकिन राशन कार्ड अब तक नहीं बन पाया है। जिसकी पीड़ा सचिव सरपंच को बताने के अलावा ग्रामीणों के समक्ष दूसरा विकल्प नजर नहीं आता। क्योंकि गांव के बसावट के बाद से ना कोई जिम्मेदार अधिकारी पहुंचे और ना ही जनप्रतिनिधि यह भी चुनाव के त्यौहार में ग्रामीण बराबर हिस्सा लेकर विकास की उम्मीद बनाए हुए हैं। मगर आज तक वह उम्मीद पर अधिकारी नेता खरा उतरने में असफल है ।शायद ही वजह की कुसेल सेलपाड़ा के रहवासी अपनी बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर है। क्योंकि नलकूप सड़क राशन कार्ड के साथ मूलभूत सुविधा के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों के साथ साथ पत्रों के माध्यम से अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। ताकि शुद्ध पेयजल के साथ सारी सुविधा उपलब्ध हो मगर अफसोस की बात है। कि अधिकारी ग्रामीणों के आवेदन पर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है तभी जमीनी हकीकत जानने आज तक ग्रामीणों के बीच नहीं पहुंच पाए हैं ।
वर्षों से झिरिया का पानी निकाल कर ग्रामीण पीने को मजबुर प्रशासन बेखर
