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कागजों में “खुले में शौच मुक्त” ग्राम पंचायत की खुली पोल

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  • लक्ष्य पूरा होने पर मिलने वाले झूठे सराहना के लालच में दी गई झूठी जानकारी
  • तत्कालीन सी ई ओ के साथ मिलकर सरपंचपति द्वारा किया गया कारनामा

पुरुषोत्तम कैवर्त/कसडोल : पूर्व में संचालित निर्मल भारत अभियान के स्थान पर 2 अक्टुबर 2014 से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की शुरूआत की गर्इ है जिसका उददेश्य देश की सभी ग्राम पंचायतों को 02 अक्टुबर 2019 तक खुले में शौच मुक्त का लक्ष्य हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य जीवन स्तर में स्वच्छता के माध्यम से सुधार लाना, सूचना शिक्षा एवं संचार (आर्इ.र्इ.सी.) के माध्यम से स्थायी स्वच्छता सुविधाओं का बढ़ावा देने वाले समुदायों और पंचायती राज संस्थाओं को प्रोत्साहित करना, छात्रों के बीच स्वास्थ्य शिक्षा और साफ सफार्इ की आदतों को बढ़ावा देना, सुरक्षित और स्थायी स्वच्छता के लिए किफायती तथा उपयुक्त तकनीकी को बढ़ावा देना तथा ठोस एवं तरल अपशिष्ट का उचित प्रबंधन सुनिशिचत करना इस योजना का मुख्य उददेश्य रहा है।और उसी उद्देश्य को अमलीजामा पहनाने केंद्र सरकार द्वारा खरबों रुपये की राशि का भी आबंटन सभी राज्यों केंद्र शाषित प्रदेशों किया गया। अब दूसरे ही नहीं अपने ही राज्य की बात करें तो समय सीमा पर उस उद्देश्य को पूरा किया जा चुका है ।ऐसा स्थानीय अधिकारियों जनप्रतिनिधियों के साथ उच्चाधिकारियों का भी दावा है और हमारा राज्य आज पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त हो चुका है।

किन्तु बलौदाबाजार ज़िले के कसडोल विकासखंड अंतर्गत घोर वनांचल क्षेत्र में बसे ग्राम पंचायत भिम्भौरी के आश्रित ग्राम गुड़ागढ़ में कुछ और ही नज़ारा देखने को मिलता है । स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूर्व में जहां पूरे ज़िले में बड़ी जोर शोर से प्रत्येक घरों में शौचालय निर्माण हो रहा था और आज तक जो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से जहाँ हमने पूरे ज़िले में स्वच्छता त्योहार मनाए थे अब वहीं हमें मिथ्या सा लग रहा है।

ग्राम गुड़ागढ़ के नागरिकों से इस सम्बंध में जानकारी लिए जाने पर ज्ञात हुआ ,कि ग्राम के किसी भी के घर में आज तक स्वच्छ भारत मिशन या फिर अन्य किसी योजना के तहत तत्कालीन सरपंच द्वारा शौचालय निर्माण नहीं करवाया गया है और न ही इसकी खबर लेने जनपद पंचायत के किसी अधिकारी द्वारा गांव में आगमन हुआ है। और बिना किसी सत्यापन के ग्राम पंचायत भिम्भौरी वर्ष 2017 में odf घोषित करने वाले अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के क्रियाकलापों से ग्रामीण अचंभित होना लाज़िमी है।

पूरे राज्य में स्वच्छता त्योहार का जश्न मनाने और अपनी झूठी पीठ थपथपाने के बाद इस तरह के दृश्य देखे जाने के बाद और शौचालय निर्माण नहीं हो पाने की कई बार शिकायत किये जाने के उपरांत भी जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिए जाना भी गंभीर रूप से भ्रष्टाचार किया जाना स्पष्ट जाहिर होता है। क्यूंकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण कराने की पूर्ण ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिवों की थी और पूर्ण खुले में शौच मुक्त का प्रमाणपत्र जारी करने के पूर्व उक्त कार्य का सत्यापन जनपद पंचायत के उप अभियंताओं, करारोपण अधिकारियों एवं अनुविभागीय अधिकारी (ग्रा यां से) के साथ ही जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का भी पूर्ण दायित्व था । इस पर किसी भी के द्वारा अपने दायित्यों का निर्वहन नहीं किये जाने का क्या अभिप्राय हो सकता है?

ग्राम गुड़ागढ़ में खुले में शौच मुक्त के उद्द्येश्यों का क्रियांवन्यन नहीं हो पाने की जानकारी लेने हेतु स्थानीय आर टी आई कार्यकर्ता जीवन लाल रविदास द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जनपद पंचायत कसडोल में आवेदन देकर जानकारी प्राप्त करना चाहा तो जनपद पंचायत कसडोल के ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा जीवन लाल रविदास को इस मामले से दूर रहने की सख्त हिदायत दी गई।
सूचना का अधिकार के तहत जनपद पंचायत कसडोल द्वारा जानकारी नहीं दिए जाने पर जिला पंचायत कार्यालय बलौदाबाजार में अपील किया गया । अन्ततः जीवन लाल रविदास द्वारा राज्य सूचना आयोग के शरण में जाना पड़ा और राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप पर जानकारी उपलब्ध कराई गई।

जानकारी में प्राप्त दश्तावेज़ों से पता चलता है ,कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच मुक्त कराने के उद्द्येश्यों को पूरा ग्राम पंचायत भिम्भौरी के तत्कालीन सरपंच द्वारा जनपद पंचायत कसडोल के कर्तव्यनिष्ट अधिकारियों से मिलकर केवल कागज़ों में 10 नहीं 20 नहीं बल्कि पूरे 82 शौचालयों का निर्माण पूरी ईमानदारी से पूर्ण किया गया है, जिस पर उन सब ने मिलकर 82 शौचालयों के निर्माण पर आये प्रत्येक शौचालय पर आने वाले लागत राशि 12 हजार रुपये के अनुसार पूरे 9 लाख 84 हज़ार रुपये का बंदरबाट कर दिए और डकार लेना भी उचित नहीं समझे । अब संशय वाली बात है, कि जिस ग्राम पंचायत भिम्भौरी को वर्ष 2017 में odf घोषित किया जा चुका है, उस ग्राम पंचायत में मात्र दो वर्ष बाद किस नियम के तहत दुबारा शौचालय निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है।

सस्थानीय आर टी आई कार्यकर्ता द्वारा पूरे मामले में सभी दोषियों पर उचित कार्रवाही किये जाने संबंधित आवेदन कलेक्टर सुनील कुमार जैन से किया गया,जिस पर कलेक्टर सुनील कुमार जैन द्वारा जांच उपरांत उचित कार्रवाही किये जाने हेतु आश्वासन दिया गया है। इस सम्बंध में जानकारी लेने स्वच्छ भारत अभियान जनपद पंचायत कसडोल में प्रभारी के रूप में पदस्थ रामचरण साहू से संपर्क किये जाने पर उनके द्वारा बताया गया ,कि ग्राम पंचायत भिम्भौरी में 237 शौचालय निर्माण के लिए स्वीकृति प्रदान की गई थी साथ ही पूरे राशि का भुगतान जनपद पंचायत कसडोल द्वारा की जा चुकी है। अब हमें पता नहीं ,कि ग्राम पंचायत भिम्भौरी के सरपंच द्वारा कितने हितग्राहिकों को शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया।

ग्राम पंचायत भिम्भौरी के द्वारा खुले में शौच मुक्त (odf) प्रमाण पत्र जारी करने के पहले क्या जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शौचालय निर्माण पर भौतिक सत्यापन किस प्रकार किया गया के प्रश्न पर रामचरण साहू के द्वारा बताया गया ,कि उस वक्त सभी पंचायतों में शौचालय निर्माण का कार्य जारी होने के कारण सभी जगह पहुंच पाना संभव नहीं था शायद उसी वजह से हम वहां भौतिक सत्यापन के कार्य के लिए ग्राम पंचायत के आश्रित गांव गुड़ागढ़ पहुँच नहीं पाये। तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी बी आर मोरे के निर्देशानुसार हमारे द्वारा भौतिक सत्यापन किया गया था। उस समय छूटे हुए परिवारों के लिए अन्य मद से शौचालय निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान कराई जा चुकी है।

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